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28 Mar 2017 · 1 min read

==== भेद – भाव ====

कविता —
[[[[भेद-भाव]]]]

भेद-भाव की दुर्भावना को
ना कभी मन में पनपने दो ||
मस्तिष्क अपना स्वस्थ हो
ईर्ष्या-बीज को ना पड़ने दो ||

छुआ-छूत व ऊँच-नीच को
मन से समूल मिटा डालो ||
द्वेष, घृणा व भेद-भाव को
तुम बेझिझक जला डालो ||

काम-क्रोध व मद-लोभ के
जब तक तुम अधीन होगे ||
ईश्वर और इंसानों से सुदूर
तुम सदा ही दीन-हीन होगे ||

समभाव, समजन की सोच
हर हाल तुम्हें तो उगाना है ||
सुखी परिवार, सुखी समाज
सुखी संसार तुम्हें बनाना है ||

प्रेम – प्रीत की बंशी बजा दो
मृदुल-स्वर के भाव उगा दो ||
जन-जन रंग जाए एक रंग में
ऐसी होली का ताव जगा दो ||

दिनेश एल० “जैहिंद”
07. 02. 2017

Language: Hindi
557 Views
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