” भा गयी तेरी अदाऐं ” !!
रंगीनियां ऐसी ,
चढ़ी हैं !
आंखों पर ऐनक ,
खड़ी है !
नज़रों की साज़िश है कोई ,
आड़ लेकर मुस्कराये !!
स्वप्न सिंदूरी ,
बुने हैं !
भाव सतरंगी ,
चुने हैं !
शोखियाँ सर चढ़ बोलती हैं ,
गुनगुनाती हैं हवाएं !!
हाथ हाथों में ,
लिया है !
मन सुवासित अब ,
किया है !
कानों में सरगोशी कर यों ,
तुमने कितने बल खाये !!
मुस्कराये इस ,
कदर हो !
बैठे लेते हैं ,
लहर वो !
बावरा मन भटके हरदम ,
और ना दो अब सजाएं !!