भक्त की पुकार
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मईया द्वारे तेरे हम खड़े हैं अभी
अश्रु आंखों से मेरे निकल जायेंगे
आज मुझको मिली जो ना भक्ति तेरी
सच ये मानों यही पे हीं मर जायेंगे।।१।।
कर करम अपनी भक्ति तूं दे दे अभी
पा के भक्ति तुम्हारी नीखर जायेंगे
जो न मुझपे किया तुने कृपा अभी
सच ये मानों यहीं पर ही मर जायेंगे।।२।।
मैं हूँ बालक तुम्हारा तू मईया मेरी
तेरी कृपा से भव पार कर जायेंगे
जो करम आज मुझपे न बरसे तेरी
सच ये मानों यहीं पर हीं मर जायेंगे।।३।।
हर तरफ आज फैली है अज्ञानता
ज्ञान तुझसे मिला तो सवर जायेंगे
ज्ञान तुमसे मिला जो ना मईया मेरी
सच ये मानों यही पर हीं मर जायेंगे।।४।।
हर तरफ बहशीयाना हवाँ चल रही
माँ सम्भालो नहीं तो बीखर जायेंगे
अब न जाऊ कभी दर से तेरे कहीं
सच ये मानों यहीं पर ही मर जायेंगे।।५।।
……….
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
11/1/2018