Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2019 · 2 min read

बोली बना लेती है दिलो मे घर I

एक कहावत है – जैसा देश वैसा भेस, जैसी टोली वैसी बोली , अर्थात् हम खुद मे ऐसे कुशल हो कि जगह ,परिस्थिति देख कर खुद को बोलचाल तथा पहनावे मे ढाल ले I जिसमे बोलना और प्रभावशाली बोलना, एक कला है। यह भी सही है कि कई लोगों को बोलने में जन्मजात महारत हासिल होती है। लेकिन जरूरी नहीं है कि संवाद कला में जन्मजात महारत हासिल लोग ही अपना प्रभाव जमा सके। बोलने की कला में माहिर होने के लिए कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप लोगो पर छोड़ना चाहते है तो आपको बातचीत करने में कुशलता हासिल करनी होगी। आपके द्वारा बोला गया हर एक शब्द आपकी बातो मे वजन डाल देता है I यदि हमे किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष की जानकारी नहीं है तब ऐसी स्थिति मे मोन रहना ज्यादा बहतर है, वजाय गलत तथ्य पेश करने के I व्यक्ति का बातचीत का लहजा ही लाखों ह्रदय मे घौसला बनाने का कौशल रखता है I एक अच्छा वक्ता हज़ारो की भीड़ को खुद के बोले हुए शब्दो का गुलाम बना लेता है I मन में आए विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने और समझाने का माध्यम शब्द ही हैं। “पहले तोल फ़िर बोल” ऐसा कभी नही होता कि हमारे मन में जो-जो बातें आती हैं, हम उन सबको सामने वाले व्यक्ति के सामने बोलते जाते हैं।इस बात का निर्णय हमारी बुद्धि ने करना है कि हमे सामने वाले व्यक्ति के सामने क्या बोलना है और क्या नहीं।अपने विचार प्रस्तुत करने से पहले व्यक्ति की रुचि तथा कार्यक्षेत्र, कार्य शैली को समझ लेते है तब आप उस व्यक्ति को ज्यादा करीब ला सकते है, आप बातचीत मै जल्द सहज़ महसूस करेंगे I किसी के लिये बकवास और अनर्गल प्रलाप करना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। जब हम किसी से बात करते हैं, तो उनकी पूरी बात सुन लेनी चाहिए, तभी उसका सार्थक उत्तर दे I आप किसी तर्क़ और अपने सुन्दर शब्दो से बात नहीं बोलते लोग आपकी बातो को गौर से नहीं सुनते I आपकी भाषा सरल, स्पष्ट ,सौम्य ,मधुर तथा व्यक्ति , स्थान के अनुसार है तब आपका आत्मविश्वास, ज्ञान, हाव भाव, व्यवहार , चपलता आपको बोलने की कला मे विशेष व्यक्ति का दर्ज़ा देता है I

युक्ति सरला वार्ष्णेय I

Language: Hindi
Tag: लेख
595 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
VISHAL
VISHAL
Vishal Prajapati
रक्तदान
रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*कोपल निकलने से पहले*
*कोपल निकलने से पहले*
Poonam Matia
स्वतंत्र नारी
स्वतंत्र नारी
Manju Singh
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
Santosh Soni
#लोकपर्व-
#लोकपर्व-
*Author प्रणय प्रभात*
नई शिक्षा
नई शिक्षा
अंजनीत निज्जर
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
SHAMA PARVEEN
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
दिल
दिल
Dr Archana Gupta
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
3140.*पूर्णिका*
3140.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बचपन की सुनहरी यादें.....
बचपन की सुनहरी यादें.....
Awadhesh Kumar Singh
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
जाने क्यूँ उसको सोचकर -
जाने क्यूँ उसको सोचकर -"गुप्तरत्न" भावनाओं के समन्दर में एहसास जो दिल को छु जाएँ
गुप्तरत्न
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
Anand Kumar
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
The_dk_poetry
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
स्त्री एक देवी है, शक्ति का प्रतीक,
स्त्री एक देवी है, शक्ति का प्रतीक,
कार्तिक नितिन शर्मा
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खामोश
खामोश
Kanchan Khanna
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
Soniya Goswami
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
कृष्णकांत गुर्जर
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
ऊपर बने रिश्ते
ऊपर बने रिश्ते
विजय कुमार अग्रवाल
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...