” बैठे आस लगाये ” !!
तन से लिपटे , वसन कह रहे !
नयनों में कुछ भाव बह रहे !
तपते दिन ने आग उगल दी –
बादल हैं भरमाये !
केश सजा फूल मुरझाया ,
तुम अब तक ना आये !!
भीगा मौसम , नमी हवा में !
खड़ी अकेली , साथ कहाँ है !
रिमझिम रिमझिम , बरसे बूंदे –
बदरा हैं अलसाये !!
अँखियों में अकुलाहट जागी ,
बैठे आस लगाये !!
आज अकेली , नार नवेली !
घिरी हुई है , कठिन पहेली !
प्यार किया है फिर डर कैसा –
तूफां आना आये !!
आकुल मनवा , कांपे थर थर ,
हैं गहराते साये !!
बृज व्यास