बेवफ़ा यार…
बेवफ़ा यार….
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निग़ाहें मिलाकर निग़ाहों से दूर कर दिया।
पल में प्यार का शीशमहल चकनाचूर कर दिया।
जो कहते थे साथी हैं हम सुख-दु:ख के वादा है,
उसी बेवफ़ा ने रुस्वा आलम में हुज़ूर कर दिया।
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गीत…………..
मेरे अरमानों की भरके मुट्ठी,हवा में उछाल दी।
मैंने कही दिल बात तुमसे,तूने हँसके टाल दी।।
आती तेरी याद जब भी,दर्द बनके रह जाती।
नसतर-सी चुभती सीने में,अश्क़ बनके बह जाती।
यार तू समझा ही नहीं प्यार,हमने ज़िंदगी गाल दी।
मेरे अरमानों………
मेरे दिल के दरवाज़े खुले थे,तेरे लिए हरदम।
हर आहट देती रही मुझे,सुलगता-सा ज़ख्म।
यार तू आया ही नहीं देख,हमने ज़िंदगी ढ़ाल दी।
मेरे अरमानों………
फूल हँसे,तारे खिले,हर मौज़ यहाँ सुहानी हुई।
पर तेरे बगैर हर मौसम में,बरबाद यहाँ जवानी हुई।
यार तू हँसता रहा हरपल,हमने रोकर बेहाल की।
मेरे अरमानों………
मेरी मय्यत पर रोने से अब,क्या होगा यार मेरे।
उठ जा महलों में रहले तू,ख़ुश होगा यार मेरे।
मुहब्बत इबादत तू न जाने,रुह तेरी ये कंगाल दी।
मेरे अरमानों……….
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राधेयश्याम बंगालिया
प्रीतम