बेटी
मेरी भी जमी है, है मेरा आसमां ;
मुझे भी जीने का अधिकार चाहिए ;
माँ-पापा आप दोनों का थोड़ा सा प्यार चाहिए !
न तोड़िये मुझे मैं नाजुक सी गुड़िया हूँ ;
मुझे भी माँ के आँचल से लिपटने का अधिकार चाहिए ;
माँ-पापा आप दोनों का थोड़ा सा प्यार चाहिए !
बेटी हूँ तो क्या बेटे से कम नहीं ;
तेरे साये में हूँ तो कोई भी ग़म नहीं ;
न छोड़िये मुझे इस अँधेरे में अकेला ;
मुझे भी उजालों का संसार चाहिए ;
माँ-पापा आप दोनों का थोड़ा सा प्यार चाहिए !
न धन – न दौलत पर मुझे अधिकार चाहिए ;
मैं अंश हूँ आप दोनों के अंग का ;
मुझे ममता के साये में रहने का अधिकार चाहिए ;
माँ-पापा आप दोनों का थोड़ा सा प्यार चाहिए !
न छोड़िये अकेला मुरझा जाऊंगी मैं ;
फूल हूँ, मुझे भी महकने का अधिकार चाहिए ;
माँ-पापा आप दोनों का थोड़ा सा प्यार चाहिए !!
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