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21 Jun 2018 · 1 min read

बेटी (दोहा गीत)

बेटी इक घर की नहीं, दो दो घर की शान
दे बेटी भगवान ने, किया एक अहसान

ये पापा की लाडली, मम्मी का है प्यार
ऐसी प्यारी है बहन, करती खूब दुलार
करना बेटी को विदा, काम नहीं आसान
बेटी इक घर की नहीं, दो दो घर की शान

बेटी को भी पालिये, यूँ बेटों के साथ
बेटी के उत्थान में, बेटों का हो हाथ
देना सीखेंगे तभी, इक दूजे को मान
बेटी इक घर की नहीं, दो दो घर की शान

बेटी मानो बोझ मत, इससे रखना प्रीत
यही बुढापे में बने, अपनी सच्ची मीत
पैरों पर करना खड़ा , इसका रखना ध्यान
बेटी इक घर की नहीं, दो दो घर की शान

बेटी को देने हमे, हैं ऐसे संस्कार
अपना ले ससुराल को, देकर अपना प्यार
सास ससुर माता पिता, माने एक समान
बेटी इक घर की नहीं, दो दो घर की शान

21-06-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: गीत
479 Views
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