Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2017 · 2 min read

बहुत याद आते हैं वो दिन

एक लड़की पर उसके प्रेमी ने तेजाब फेकां ।
कुछ महीनों बाद लड़की ने उस लड़के को एक पत्र लिखा, कुछ इस तरह….

बहुत याद आते है अब वो दिन,
जब हम और तुम एक साथ थे ।
क्या भूल गये हो या याद है तुमको,
जब हम एक दुसरे की जान थे ।
बहुत याद आते है अब वो दिन,
जब हम और तुम एक साथ थे ।

क्या तुमको याद है की कैसे,
और कितने प्यार से हुई थी हमारी दोस्ती ।
मेरी दोस्ती और तुम्हारे प्यार में,
छिपे हुए हमारे लाखों अरमान थे ।
बहुत याद आते है अब वो दिन,
जब हम और तुम एक साथ थे ।

एक सवाल है मेरे मन में आज,
की क्या सोच कर तुमने किया ऐसा ।
क्यों और किस बात की दी ये सजा,
दोस्त कहलाने वाले, क्यों तुम बने हैवान थे ।
बहुत याद आते है अब वो दिन,
जब हम और तुम एक साथ थे ।

जाओ मैंने फिर भी माफ़ किया तुमको,
शायद तुम्हारे लिए यही तो यही प्यार था ।
जबाब नहीं होगा तुम्हारे पास कोई,
क्या नज़रे मिला पा रहे हो अपने आप से ।
बहुत याद आते है अब वो दिन,
जब हम और तुम एक साथ थे।

मैं जिस हाल में हूँ, उसी हाल में रह लुंगी,
तुम्हारे दिए दर्द को, उमर भर सह लुंगी ।
तुम अपनी इस हरकत को एक दिन जाओगे भूल,
पर मेरी यादों पर ना पड़ेगी, कभी वक़्त की धुल ।
दुआ है मेरी तुम अपनी जिन्दगी में खुश रहना,
मेरा कभी जिक्र हो, तो कभी कुछ न कहना ।
कल को तुम्हारा भी एक परिवार होगा,
एक बेटा और एक बेटी का साथ होगा ।
तो तुम बस दुआ करना, की तुम्हारी बेटी को,
कभी तुम्हारे जैसा कोई और ना मिले,
और तुम्हारा बेटा, कभी तुमसा ना बने ।
तुम्हारा बेटा, कभी तुमसा ना बने ।
कभी तुमसा ना बने ।

© Kumar
8813000781

Language: Hindi
1 Like · 867 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
मैंने जला डाली आज वह सारी किताबें गुस्से में,
मैंने जला डाली आज वह सारी किताबें गुस्से में,
Vishal babu (vishu)
मेरी कलम
मेरी कलम
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
एहसास
एहसास
Dr fauzia Naseem shad
हाथी के दांत
हाथी के दांत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आंखों में भरी यादें है
आंखों में भरी यादें है
Rekha khichi
शहर में नकाबधारी
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
“परिंदे की अभिलाषा”
“परिंदे की अभिलाषा”
DrLakshman Jha Parimal
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
आचार संहिता लगते-लगते रह गई
आचार संहिता लगते-लगते रह गई
Ravi Prakash
In adverse circumstances, neither the behavior nor the festi
In adverse circumstances, neither the behavior nor the festi
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
What is FAMILY?
What is FAMILY?
पूर्वार्थ
"मछली"
Dr. Kishan tandon kranti
!! जलता हुआ चिराग़ हूँ !!
!! जलता हुआ चिराग़ हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
गजब है सादगी उनकी
गजब है सादगी उनकी
sushil sarna
चाय
चाय
Dr. Seema Varma
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
Satyaveer vaishnav
*सत्य*
*सत्य*
Shashi kala vyas
खेल करे पैसा मिले,
खेल करे पैसा मिले,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2761. *पूर्णिका*
2761. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"बेरंग शाम का नया सपना" (A New Dream on a Colorless Evening)
Sidhartha Mishra
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
Ashish shukla
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
Suryakant Dwivedi
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"ईश्वर की गति"
Ashokatv
Loading...