Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2017 · 2 min read

प्लास्टिक की गुडिया

“सुरभि चलो!जल्दी से तैयार हो जाओ!आज हमें गुप्ता जी के यहाँ पार्टी में जाना है,और प्लीज अच्छी सी साड़ी डालना कोई।”सुरभि ये सुनते ही हैरान हो गई,”प्रणय तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया,आज पूरा दिन मुझे सरदर्द था,मेरी कोई भी साड़ी प्रेस नहीं है।”तुम पहले बता देते !तो अच्छा होता।”प्रणय ने अजनबी की तरह तुरंत कहा-“इसमें बताने जैसा क्या है,अब कह रहा हूँ ,जल्दी तैयार हो जाओ।”
सुरभि ने जल्दी जल्दी अलमारी खोली ।सब कपडे निकाले और तैयार हो गयी। अभय और आनंदी को जल्दी जल्दी कपडे पहनाये। प्रणय भी बीच बीच में आवाज़े लगाता रहा। पार्टी के बाद देर रात थककर फिर सभी घर लौटे। फिर अगले दिन प्रणय ऑफिस चला गया। सुरभि बच्चों को तैयार करके स्कूल छोड़ आई। अपनी दिनचर्या ख़त्म करके लेटी ही थी की प्रणय का फ़ोन आया।”सुरभि शाम को मेरे कुछ ऑफिस के साथी चाय पर आ रहे है। उनके लिए स्नैक्स और चाय रेडी रखना ।”लेकिन प्रणय शाम को मुझे स्टिचिंग सेंटर जाना होता है,”सुरभि ने कहा!”तो आज मत जाना।”प्रणय ने तिलमिलाते हुए कहा।”लेकिन*और प्रणय ने फ़ोन काट दिया। सुरभि अपनी बात पूरी भी न कह सकी।
सुरभि ने फ्रिज खोला देखा धनिया ,मिर्ची कुछ नहीं था। दौड़कर मार्किट गयी ।सब सामान लेकर आई।
शाम को प्रणय समय पर अपने दोस्तों के साथ घर आ गया। बच्चे भी स्कूल से आ गए थे ।तो उनको जल्दी खाना खिलाकर पढने बैठाया। प्रणय
काफी देर तक अपने दोस्तों के साथ बाते करता रहा। फिर सुरभि रात के खाने की तैयारी में लग गई। रात को सबने साथ खाना खाया।
फिर प्रणय ने कॉफी के लिए सुरभि को आवाज़ लगाई। सुरभि बच्चों को सुलाकर कोफी लेकर बालकनी में आई। सुरभि के चेहरे पे थकान साफ़ नज़र आ रही थी।कोफी हाथ में पकड़ते ही प्रणय बोला'””मेरे ऑफिस में एक नया बंदा आया है पवन। यही चौक के आगे किराये पर रहता है। उसका बेटा पढाई में बहुत वीक है। वो मुझे बता रहा था। तुम तो हर समय घर पर रहती हो,मैंने उसे बोल दिया है कि वो उसे दोपहर में 3 बजे घर भेज दे ,तुम उसे कुछ दिन पढ़ा देना।”अचानक सुरभि के सब्र का बाँध टूट गया ,जिसे उसने बरसों से रोक रखा था,आज उसकी मन की थकान उसके देह की लक्ष्मण रेखा को लाँघ कर बाहर आ गयी….और उसने तीखी आवाज़ में प्रणय से कहा”प्रणय तुमने कभी मुझसे पूछा की मै क्या करना चाहती हूँ,हर बार तुम अपने शब्दों को मुझ पर लाद देते हो,तुम्हें मेरी नहीं ,एक प्लास्टिक की गुडिया की जरुरत है, जो वैसे ही रहे जैसा तुम चाहो।”प्रणय खामोश था और सुरभि अपने वजूद को पहचान दे रही थी।
#रजनी

Language: Hindi
575 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धर्म ज्योतिष वास्तु अंतराष्ट्रीय सम्मेलन
धर्म ज्योतिष वास्तु अंतराष्ट्रीय सम्मेलन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
ओ माँ... पतित-पावनी....
ओ माँ... पतित-पावनी....
Santosh Soni
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
अश्लील वीडियो बनाकर नाम कमाने की कृत्य करने वाली बेटियों, सा
अश्लील वीडियो बनाकर नाम कमाने की कृत्य करने वाली बेटियों, सा
Anand Kumar
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
देश में क्या हो रहा है?
देश में क्या हो रहा है?
Acharya Rama Nand Mandal
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
Ram Krishan Rastogi
जीवन के इस लंबे सफर में आशा आस्था अटूट विश्वास बनाए रखिए,उम्
जीवन के इस लंबे सफर में आशा आस्था अटूट विश्वास बनाए रखिए,उम्
Shashi kala vyas
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
Rituraj shivem verma
नव वर्ष पर सबने लिखा
नव वर्ष पर सबने लिखा
Harminder Kaur
अगर
अगर "स्टैच्यू" कह के रोक लेते समय को ........
Atul "Krishn"
I am a little boy
I am a little boy
Rajan Sharma
हँसी
हँसी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गुलाब के अलग हो जाने पर
गुलाब के अलग हो जाने पर
ruby kumari
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Seema Varma
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
रेखा कापसे
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री
Kavita Chouhan
सत्कर्म करें
सत्कर्म करें
Sanjay ' शून्य'
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
सच तो यही हैं।
सच तो यही हैं।
Neeraj Agarwal
औरतें ऐसी ही होती हैं
औरतें ऐसी ही होती हैं
Mamta Singh Devaa
Loading...