प्रेम
दो मुक्तक
खट्टा-मीठा कड़वा सब भूलते गए
प्रेम में भगवान के जब डूबते गए
सार सारा ज़िन्दगी का आ गया समझ
और बंधन मोह के भी टूटते गए
रहे दिल में ये अभिलाषा
कि सीखें प्रेम की भाषा
निभाना है इसे मुश्किल
कठिन है इसकी परिभाषा
डॉ अर्चना गुप्ता
दो मुक्तक
खट्टा-मीठा कड़वा सब भूलते गए
प्रेम में भगवान के जब डूबते गए
सार सारा ज़िन्दगी का आ गया समझ
और बंधन मोह के भी टूटते गए
रहे दिल में ये अभिलाषा
कि सीखें प्रेम की भाषा
निभाना है इसे मुश्किल
कठिन है इसकी परिभाषा
डॉ अर्चना गुप्ता