Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2020 · 4 min read

प्रश्न वही आयाम कई

प्रायः हर कोई किसी भी डॉक्टर से अपने मरीज के बारे में यह प्रश्न जरूर करता है कि
डॉक्टर साहब हमारा मरीज ठीक तो हो जाएगा ? यही प्रश्न मेरे सामने भी अनेक परिस्थितियों में अनेकों बार मेरे सामने आया था ।
पर जब यही प्रश्न एक बार मेरे सामने एक बेहोश पड़ी ब्रेन हेमरेज से ग्रसित वृद्धा के लिए उसके साथ आई युवती ने अपने अश्रुपूरित नेत्रों एवं बिखरे बालों बदहवास हालऔर अव्यवस्थित वस्त्रों में मुझसे पूछा
‘ डॉक्टर साहब यह ठीक तो हो जाएंगी ?’
तो मैंने उससे पूछा यह आपकी कौन है ?
उसने कहा
‘ यह मेरी मां है । ‘
उसी के बराबर में खड़ी एक अन्य नवयुवती ने भी यही प्रश्न अपनी उत्सुकता छुपाते हुए चमक से भरे नेत्रों व्यवस्थित बाल और वस्त्र आभूषण युक्त वेष धारण किये हुए थी लगता था घर से तैयार हो कर निकली थी , ने पूछा
‘ डॉक्टर साहब यह ठीक तो हो जाएंगी ?’
मैंने फिर वही प्रश्न उससे भी किया यह आपकी कौन है ?
उसने एक मन्द सी मुस्कान से मुझे बताया
‘ डॉक्टर साहब यह मेरी सास हैं ।’ बेटी और बहू की दशा का यह अंतर स्पष्ट था ।
===========
इसी भांति एक बार एक बेहोश वृद्ध को एक भीड़ उठाकर मेरे सामने लाई और स्ट्रेचर पर लिटा दिया मेरे परीक्षण के उपरांत सब ने मुझसे यही प्रश्न किया
‘ डॉक्टर साहब यह ठीक तो हो जाएंगे ? ‘
मैंने पूछा यह कौन है और आप लोग इनके क्या लगते हैं ?
उन्होंने कहा साहब यह हमारे पड़ोस में रहते हैं इनका कोई नहीं है घर में इनकी ऐसी हालत देखकर हम इन्हें आपके पास ले आए। वो सभी भीड़ जुटा कर एक दूसरे का मुंह तक रहे थे । भीड़ की मनोदशा स्पष्ट थी पर पूरा जीवन इसी भीड़ के बीच जी कर भी लावारिस बने की यह दशा अस्पष्ट थी ।
==========
इसी प्रकार एक बार एक लगभग 50 वर्ष के व्यक्ति को कुछ लोग मेरे पास ला कर भर्ती करा गए वह हृदयाघात से पीड़ित था भर्ती के समय तो दो चार लोग साथ आए थे पर बाद में वह अकेला पड़ा रहता था । तीसरे दिन उनमें से कुछ लोगों ने मुझसे मिल कर फिर वही शाश्वत प्रश्न किया
‘ डॉक्टर साहब यह ठीक तो हो जाएंगे ?
मैंने पूछा यह आपके कौन है और आप इन के क्या लगते हैं ?
उन्होंने कहा डॉक्टर साहब हम इनके रिश्तेदार हैं यह हमारे घर में रहते हैं ।इनका कोई नहीं है । क्योंकि इन्होंने इस जीवन में शादी भी नहीं की है ।पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इस रंडुआ प्रथा की भेंट चढ़े इस व्यक्ति की अंतिम परिणीति मेरे सामने प्रति लक्षित थी । यह पूछ कर वह सब चले गए अगले दिन वह भी चुपचाप इस दुनिया से चल गया ।
============
एक बार एक वृद्ध महिला को कुछ लोग भर्ती कराकर उसके साथ कई पुरुष और महिलाएं उसकी सेवा में जुटी रहीं उसकी इतनी पुरजोर देखभाल होते देख मैंने उनसे पूछा यह कौन है और आपका इन से क्या रिश्ता है ?
इसपर उन लोगों ने बताया कि डॉ साहब इनके पांच लौंडिया ही लौंडिया है और यह जो आदमी लोग आप इनकी सेवा टहल में जुटे देख रहे हैं यह सब इनके दामाद हैं । उसकी सेवा में लगे लोगों का सेवाभाव स्पष्ट था ।
==========
फिर एक बार एक अन्य वृद्धा भी भर्ती हुई उसके साथ रहने वाली तीन महिलाएं बारी बारी से अपना कर्तव्य का बोझ निभाते हुए सेवा सुश्रुषा में लगी थीं । हर कोई मुझे अपनी अपनी समस्याएं हर राउंड पर बताता था । जब मैं उसे देखने जाता था तो वह महिलाएं मरीज की तकलीफ और उसका का हाल बताने के बजाय अपनी पारिवारिक परिस्थितियों और अस्पताल में रहने वाली मजबूरियों का बखान करती थीं । किसी के पति को दफ्तर जाना था किसी को अपने बच्चों को स्कूल में समय से भेजना था तो किसी का घर अकेला था ।
मैंने उनसे पूछा यह कौन है और आपकी क्या लगती है?
उन्होंने बताया डॉक्टर साहब इनके तीन लड़के ही लड़के हैं और हम तीनों इनकी बहुएं हैं । मुझे उसकी सेवा में लगे लोगों का सेवाभाव में अंतर स्पष्ट था ।
============
पर मेरे मरीजों में सबसे ज्यादा भाग्यशाली वे वृद्ध होते हैं जिनके कई बाल बच्चों के बच्चों के बच्चे होते हैं और वे सब मुझसे बारी – बारी से बार-बार अनेक बार घुमा फिरा कर यही प्रश्न दोहराते हैं
‘ डॉक्टर साहब यह ठीक तो हो जाएंगे ? ‘
मेरे पूछने पर वह सब उसे अपना सगा संबंधी खून के रिश्ते वाला बाबा दादी जैसा कोई रिश्ता बताते हैं । ऐसे मरीजों को परीक्षण के लिए भी मुझे एक भीड़ को चीर कर उनके पास तक जाना पड़ता है । उनमें से कुछ रिश्तेदार उसके बिस्तर पर चढ़े बैठे होते हैं तो कुछ उसे 24 घंटे घेरे रहते हैं । मैंने अक्सर यही पाया है की जिसके चाहने वाले ऐसे तमाम रिश्तेदार होते हैं वह ठीक हो जाते हैं या उनकी हालत सुधर जाती है ।
============
मेरे लिए उन लोगों के रिश्तों को समझना सबसे ज्यादा दुष्कर होता है जो किसी की बीमारी के दौरान मुझसे कोई प्रश्न नहीं करते वरन मेरी बॉडी लैंग्वेज से निष्कर्ष निकालते हुए मुझे अपनी मौन भाव भंगिमा एवं अपने प्रश्नवाचक नेत्रों से मुझे देखते रहते हैं ।अक्सर यह रिश्ते बहुत ही अंतरंग और निकट के निकलते हैं जैसे मां बाप , भाई बहन , पति पत्नी , बेटा बेटी ।मैं हमेशा ईश्वर को ध्यान में रखते हुए उन सभी को समान रूप से इलाज देता हूँ पर प्रायः यह मैंने पाया है कि जिसको चाहनेवाले अधिक होते हैं उनकी प्रार्थना अथवा दुआओं में असर होता है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 8 Comments · 484 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से
Surinder blackpen
कहीं पहुंचने
कहीं पहुंचने
Ranjana Verma
लोग जाने किधर गये
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"यदि"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
Srishty Bansal
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
सम्मान से सम्मान
सम्मान से सम्मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शीर्षक:
शीर्षक: "ओ माँ"
MSW Sunil SainiCENA
बेटियों से
बेटियों से
Shekhar Chandra Mitra
बेशक खताये बहुत है
बेशक खताये बहुत है
shabina. Naaz
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
शायर देव मेहरानियां
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
gurudeenverma198
#हमारे_सरोकार
#हमारे_सरोकार
*Author प्रणय प्रभात*
बस तुम
बस तुम
Rashmi Ranjan
मेहनत
मेहनत
Anoop Kumar Mayank
कविता
कविता
Shiva Awasthi
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
Dr Archana Gupta
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
कह दें तारों से तू भी अपने दिल की बात,
कह दें तारों से तू भी अपने दिल की बात,
manjula chauhan
💐अज्ञात के प्रति-83💐
💐अज्ञात के प्रति-83💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*नया साल बेतुका है (घनाक्षरी)*
*नया साल बेतुका है (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
नंदक वन में
नंदक वन में
Dr. Girish Chandra Agarwal
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
एक रावण है अशिक्षा का
एक रावण है अशिक्षा का
Seema Verma
Loading...