Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2021 · 2 min read

प्यार की दास्तां

एक ही शिक्षण संस्थान में काम करते थे।
हम दोनों बच्चों को रोज पढ़ाया करते थे।।

एक दिन ऐसा घटना घटी।
जो दिल को आके मेरे सटी।।

कुछ ऐसी अनोखी बातें मेरे बारे में कह गई।
जो मेरे दिल की धड़कन की गति बढ़ा गई।।

बस क्या था, हम उनके दीवाने होने लगे।
उनको न चाहते हुए भी हम चाहने लगे।।

अब हमारी प्यार धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
किसी को कानों कान तक खबर ना लगी।।

मामला गड़बड़ उस वक्त हुआ जब उसकी नौकरी लग गई।
बस एक दिन आई मिठाई खिलाई बिना कुछ कहे चली गई।।

अब वह मुझे तड़पाने लगी।
दिन रात सपने में आने लगी।।

रात को नींद नहीं दिन को चैन था।
दिल तो कहता पर मन बेचारा मौन था।।

उसकी एक ही बात बार-बार याद आती थी।
जो प्यार की पहली कड़ी की शुरुआती थी।।

अब तो न वह थी न प्यार थी।
किससे कहूं बात दिल बेकरार थी।।

अब मेरी कलम उठी प्यार की लिफाफा लिखी।
जब उसने लिफाफा खोली तब मेरा प्यार दिखी।।

इधर धीरे-धीरे सबको मेरे प्यार का पता चल गया।
किसी के द्वारा उसके पास मेरे प्यार का कॉल चला गया।।

उस समय उसने ज्यादा कुछ नहीं बोली।
नहीं मेरे प्यार के ग्रीन सिगनल खोली।।

अब एक दिन मैंने उसे व्हाट्सएप किया।
उसने मेरे भेजे मैसेज को रीड किया।।

बस क्या था, उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया।
अपने आपको चारों तरफ से लॉक कर दिया।।

अब मेरा प्यार परवाह चढ़ता गया।
उसी के याद में गीत कविता गढ़ता गया।।

चौबीसों घंटे उसी का याद आता था।
दिन-रात उसी का नाम मैं रटता था।।

अब यार, दोस्त समझाने लगे।
प्यार अधूरा होता है बताने लगे।।

एक दिन शाम का समय था।
वही हुआ जिसका भय था।।

उसने मुझे कॉल किया।
मैंने कॉल रिसीव किया।।

उसने कड़े शब्दों में कहा ऐसा हरकत करेंगे।
तो मैं फालाना जी से सीधे शिकायत करेंगे।।

तब मेरा प्यार ठंडा पड़ा।
न चाहते हुए भुलना पड़ा।।

फिर हम तो प्यार भूल गए पर दिल नहीं भूला।
जब चाहे चले आना तुम्हारे लिए दरवाजा है खुला।।

कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
1 Like · 575 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
Sahil Ahmad
पागलपन
पागलपन
भरत कुमार सोलंकी
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
ओसमणी साहू 'ओश'
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
■ आज की बात
■ आज की बात
*Author प्रणय प्रभात*
बात जो दिल में है
बात जो दिल में है
Shivkumar Bilagrami
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
शक्ति राव मणि
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
💐अज्ञात के प्रति-136💐
💐अज्ञात के प्रति-136💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिसका हम
जिसका हम
Dr fauzia Naseem shad
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ईश्वर की कृपा
ईश्वर की कृपा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
झुग्गियाँ
झुग्गियाँ
नाथ सोनांचली
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
Vivek Mishra
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
मौसम खराब है
मौसम खराब है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
रमेशराज का हाइकु-शतक
रमेशराज का हाइकु-शतक
कवि रमेशराज
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
Ravi Prakash
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
कवि दीपक बवेजा
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
Manju sagar
23/166.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/166.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
चन्द्रयान 3
चन्द्रयान 3
Jatashankar Prajapati
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
Dushyant Kumar
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...