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24 Jun 2016 · 1 min read

पुस्तक

पन्ने पन्ने में सिमटा है, नभ सा विस्तृत ज्ञान अनंत।
बांध रखे है प्रीति वर्ण में, वेगवान पक्षी बलवंत।
उमड रहा इक सागर जिसमें, डूब डूब होता उत्थान।
जितना पी लो उतना कम है, पुस्तक का है अमिय निरंत।
अंकित शर्मा’इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 549 Views
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Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
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