Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2017 · 1 min read

पुरूष हूँ !

पुरूष हूँ !
—————

पुरूष हूँ !
कोई पत्थर तो नहीं !
मुझमें भी है …
एहसास !
निर्मलता !
और मानवता |
सदियों से ही
कहते आए हैं
कि समाज…….
पुरूष प्रधान है !
लेकिन क्या ?
देखा भी है —
झाँककर कभी
उसके अंतस में |
कितना कुछ है….
उसके भीतर —
धैर्य !
विश्वास !
कर्मठता !
लगन !
मेहनत !
जिम्मेदारी !
सहनशीलता !
कर्तव्यपरायणता !
इत्यादि-इत्यादि ||
कौन कहता है ?
मर्द को दर्द नहीं होता !
होता है………..
दर्द भी और संताप भी !
जब खेला जाता है
उसके दिल से
छुप-छुप कर !
कहते हैं ………
दिल नहीं पत्थर है !
नर के सीने में |
किसने देखा ?
कब देखा ?
कहाँ देखा ?
क्यों देखा ?
आखिर कोई तो बताए ??
पूर्ण करता है पुरूष भी
अपनी हर जिम्मेदारी
इत्तमिनान से……….
बिना कुछ उफ किए !
सहता भी है !
पर ! कहता नहीं |
बस ! जीता है
अपनों के लिए…..
हाथ बंटाता है निकेत-कर्म में
सदैव चुपके-चुपके !
पर वो दिखता नहीं
सार्वजनिक तौर पर !
क्यों कि ?
वह करता है…….
तन-मन-धन से ||
जब भी घटित होते हैं
अमानवीय और नृशंस कुकृत्य
सारा पुरूष-वर्ग ही दोषी बनता है |
मानता हूँ …………….
कुछ नीच-अधम-पापी हैं
हमारे बीच में ,
जो कलुषित करते हैं
पुरूष और मानवता को ||
मिलते हैं — अपवाद !
देश-काल-वातावरण में
हर वर्ग में ………..
लेकिन इसका मतलब
यह तो नहीं —
कि प्रत्येक पुरूष
अमानुष है !
राक्षस है !
आतताई है !!
——————————
— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
725 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
Anand Kumar
दोस्ती गहरी रही
दोस्ती गहरी रही
Rashmi Sanjay
ना होगी खता ऐसी फिर
ना होगी खता ऐसी फिर
gurudeenverma198
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
मां ने भेज है मामा के लिए प्यार भरा तोहफ़ा 🥰🥰🥰 �
मां ने भेज है मामा के लिए प्यार भरा तोहफ़ा 🥰🥰🥰 �
Swara Kumari arya
तू
तू
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मुहब्बत
मुहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
मन से मन को मिलाओ सनम।
मन से मन को मिलाओ सनम।
umesh mehra
उपहास
उपहास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
* मिल बढ़ो आगे *
* मिल बढ़ो आगे *
surenderpal vaidya
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
Mukesh Kumar Sonkar
💐प्रेम कौतुक-449💐
💐प्रेम कौतुक-449💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किसी दर्दमंद के घाव पर
किसी दर्दमंद के घाव पर
Satish Srijan
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
कवि दीपक बवेजा
ज़िंदगी मायने बदल देगी
ज़िंदगी मायने बदल देगी
Dr fauzia Naseem shad
जान हो तुम ...
जान हो तुम ...
SURYA PRAKASH SHARMA
डॉ अरुण कुमार शास्त्री ( पूर्व निदेशक – आयुष ) दिल्ली
डॉ अरुण कुमार शास्त्री ( पूर्व निदेशक – आयुष ) दिल्ली
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*मेघ गोरे हुए साँवरे* पुस्तक की समीक्षा धीरज श्रीवास्तव जी द्वारा
*मेघ गोरे हुए साँवरे* पुस्तक की समीक्षा धीरज श्रीवास्तव जी द्वारा
Dr Archana Gupta
किसी नदी के मुहाने पर
किसी नदी के मुहाने पर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
Er. Sanjay Shrivastava
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
छोटी सी प्रेम कहानी
छोटी सी प्रेम कहानी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
2815. *पूर्णिका*
2815. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
*गुरुदेव की है पूर्णिमा, गुरु-ज्ञान आज प्रधान है【 मुक्तक 】*
*गुरुदेव की है पूर्णिमा, गुरु-ज्ञान आज प्रधान है【 मुक्तक 】*
Ravi Prakash
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
Loading...