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20 Oct 2016 · 1 min read

पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी

पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी
कहते हैं जिसको जीना वो आया नहीं कभी

चाहें किये हो कर्म भलाई के कम बहुत
पर नेकियों को अपनी भुनाया नहीं कभी

खाते कदम कदम पे रहे ठोकरें यहाँ
पर आस के दिए को बुझाया नहीं कभी

हम दूर मंज़िलों से ही रहते रहे मगर
कमजोर को यहाँ पे गिराया नहीं कभी

हमने किसी की आह ले संसार में सुनो
कोई महल ख़ुशी का बनाया नहीं कभी

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Comments · 654 Views
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