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13 Aug 2017 · 1 min read

पाँव छालों भरा नहीं होता

ग़ज़ल
**********

जिन्दगी में मज़ा नही होता
दर्दे- दिल जो पला नहीं होता
??????????
जो मैं चलता न जानिबे मंजिल
पाँव छालों भरा नहीं होता
??????????
मरते बेमौत ही हजारों फिर
दर्द ही गर दवा नहीं होता
?????????
गर बुझाते न पेट की आतिश
हाथ मेरा जला नहीं होता
?????????
दौरे गर्दिश में टूटते हैं दिल
आदमी बेवफ़ा नहीं होता
?????????
दिल की फ़ितरत न होती शीशे की तो
कोई फिर दिलजला नहीं होता
??????????
मैं भी हो जाऊँ बेवफ़ा लेकिन
सबका दिल एक सा नहीं होता —– गिरह
?????????
फिर तो डर होता डूब जाने का
तू अगर नाखुदा नहीं होता
??????????
गर ये तूफां न मौत के आते
आदमी बुलबुला नहीं होता
??????????
आप मिलते न जो हमें “प्रीतम”
पुष्प दिल का खिला नहीं होता
??????????
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
??????????

1 Like · 1 Comment · 240 Views
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