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6 Mar 2018 · 5 min read

पर्दा (कहानी)

एक्सीलेटर से अपर्णा नीचे उतर रही थी ।एकाकीपन से ऊबकर आज वो मॉल में घूमने आई थी। रवि कई दिन से बीमार था । बहुत दिनों से घर नही आया था । उसके लिए भी मन बहुत बेचैन था । अचानक उसकी निगाह सांमने पड़ी । ऊपर की ओर जाते हुए एक्सीलेटर पर रवि बहुत प्रसन्न मुद्रा में किसी लेडी के गले मे बाहें डाले खड़ा था । एक पल को अपर्णा को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ । रेलिंग पकड़ ली कस कर वरना गिर ही जाती । उधर रवि हँस हँस कर उस लेडी से बात कर रहा था । पीठ होने की वजह से अपर्णा उसका चेहरा नही देख स्की । पत्नी तो नहीं होगी..उसने मन ही मन सोचा क्योंकि रवि ने बताया था वो बड़ी खड़दिमाग औरत है । रवि उससे बात ही नही करता ।अपर्णा ने फिर मुड़ कर देखा । अब उस औरत का चेहरा दिख रहा था । अरे ये तो रवि की पत्नी है । रवि ने उसे फ़ोटो दिखाई थी उसकी । एक बहुत गहरा धक्का उसके दिल को लगा। यानी रवि ने उससे झूठ बोला उसे पाने के लिए ।अपर्णा को सर घूमता से महसूस हुआ । पर कहाँ बैठती ।।आजकल मॉल में कहीं बैठने की जगह होती ही नहीं। किसी तरह खुद को संभाला अपर्णा ने । कदमों को लगभग घसीटते हुए बाहर आई और टेम्पू करके घर पहुंच गई ।
घर आकर पता नहीं क्या सुझा रवि को फोन लगाया पर उसने नहीं उठाया । वो बार बार फोन करती रही । आखिर फोन उठा और झल्लाती हुई सी आवाज आई … .बहुत बिजी हूँ इस समय… बाद में बात करता हूँ। अपर्णा निढाल सी बिस्तर पर गिर पड़ी । उसकी आँखों मे बीती हुई बातें चलचित्र की तरह चलने लगीं । शादी से पहले लोग उसे देखकर देखते ही रह जाते थे । उसे ये रूप अपनी माँ से विरासत में मिला था । वो पढ़ाई में भी बहुत तेज थी ।तभी स्कोलरशिप ले लेकर उसने एम ए अंग्रेजी में और बी एड कर लिया था । पापा एक प्राइवेट फर्म में क्लर्क थे । यूँ तो उसकी तीन बहनें और थी पर बिल्कुल साधारण । दसवीं के आगे पढ़ ही नहीं पाई थी। भाई कोई नहीं था ।अपर्णा सबसे छोटी थी । बड़ी बहनों के विवाह बस किसी तरह से हुए थे ।वो अपने परिवारों में खुश नहीं थी। उसकी खूबसूरती के कारण ही उसकी शादी हुई तो एक साधारण परिवार में थी परन्तु पति की अच्छी नौकरी थी। ससुराल की मानसिकता उससे बिल्कुल अलग अंधविश्वासों और पुरानी मान्यताओं में जकड़ी हुई थी । अपर्णा की शादी के बाद एक ही साल के अंदर ही माँ पापा दोनों का देहांत हो गया । बहनों ने मिलकर उनका टूटा फूटा छोटा सा मकान भी हड़प लिया था । उसके बाद से उनसे उसका कोई सम्बन्ध नहीं रहा । पति की टूरिंग जॉब थी महीने में 15 दिन बाहर ही रहते थे । और वो सास ननदों के साथ तारतम्य ही बिठाती रह जाती थी ।भगवान ने एक बेटा भी दिया था पर उस पर भी उसका हक़ न के बराबर था । दादी बुआ अपने अनुसार ही उसे रखती थी। इसलिये शायद वो बिगड़ भी गया था ।और फिर उसे होस्टल में डाल दिया गया था ।वो कुछ भी नही कर पाई थी ।अपर्णा अपनी सास और विधवा नन्द के व्यवहार से बहुत दुखी थी । पति भी उनका ही पक्ष लेते थे । इसलिये उसने कुछ वक्त काटने के लिये सबके विरोध के बावजूद एक स्कूल में नौकरी कर ली थी । ऐसे ही करते करते शादी को पन्द्रह साल बीत गए । अपर्णा ने धीरे धीरे खुद को इसी ज़िन्दगी में ढाल भी लिया था कि अचानक रवि उसकी ज़िन्दगी में आया ।वो बाज़ार जा रही थी कि एक स्कूटर से टकरा गई । स्कूटर वाले ने उसे उठाया बहुत ही क्षमा याचना की । बराबर में ही एक कॉपी शॉप थी वहां बिठाया । घर छोड़ने के लिये भी कहा पर अपर्णा ने मना कर दिया । लेकिन उसका अपनत्व भरा व्यवहार उसे छू सा गया । शायद प्यार के दो बोल के लिये तरस सी गई थी । उसके बाद अक्सर बाज़ार में वो दिख जाता और दोनों कॉफ़ी पीते । रवि नाम था उसका । उसका रेडी मेड गारमेंट्स का अच्छा बड़ा काम था । रवि का हँसमुख स्नेहसिक्त व्यवहार अपर्णा को उसके करीब लाने लगा था । रवि भी अपर्णा की बातों से बहुत प्रभावित था । अब वो अपनी व्यक्तिगत समस्याएं भी आपस में शेयर करने लगे थे । रवि की पत्नी भी बहुत तेज और ज़िद्दी थी । उसका लगभग रोज ही रवि से झगड़ा होता था ।ऐसा ही रवि ने उसे बताया था । रवि के बेइंतहा प्यार ने उसे धीरे धीरे घर से भी अलग कर दिया । सास की मृत्यु हो गई थी । उनकी मृत्यु के बाद नन्द और बददिमाग हो गईं थी। बेटा और पति दोनों ने ही कभी उसे कुछ समझा ही नही था । शायद तभी रवि की कसमो के आगे उसे सारा संसार झूठा लगने लगा था । जब वो उसे बाहों में भरकर कहता कि तुम सात जन्मों के लिए मेरी हो तो खुशी से उसकी आंखें भर आती थी । रवि जब उसे अपने घर के बारे में बताता था तो उसे बहुत दुख होता था ।वो सोचती थी जब रवि उसके पास आएगा तो उसे इतना प्यार देगी कि वो अपने सारे दुख भूल जाएगा ।
… पर आज के सच ने उसके सपनों का महल चकनाचूर कर दिया था … उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था … बस मन पुरानी यादों में ही घूम रहा था …वो तो अक्सर रवि की आँखों मे झाँकती रहती थी । उसके प्यार के अथाह सागर में गोते लगाती रहती थी ….उसे वहां क्यों कुछ और नहीं दिखा ..क्या प्यार ने उसकी आँखों के ऊपर इतना गहरा पर्दा डाल दिया था कि वो कुछ नही देख पाई ….. इतना बड़ा छल ….ज़िन्दगी ने उसे ही पग पग पर क्यों छला । रवि ने उससे कहा था एक ही बेटी है मेरी इसकी शादी करके तुम्हारे पास आ जाऊंगा.. फिर कभी भी न दूर जाने के लिये । पर सच…….अपर्णा का दम घुटने लगा। कैसे जी सकेगी अब वो ….वो धीरे से उठी पलंग की साइड की दराज खोली ।दवाइयां रखी थी उसमें । अक्सर वो अवसाद की दवाइयां खाती थी । उसने दो दवाइयों के पत्ते निकाले । फिर पलंग के पीछे रखा डायरी पेन निकाला …कुछ लिखना चाहा …पर फिर सोचा …किसे लिखे…क्यों लिखे…कौन है उसका अपना इस ज़िन्दगी में…..आंखों से अविरल आँसूं बह निकले…उसने साइड टेबल से पानी का ग्लास उठाया और सारी गोलियां एक साथ निगल ली। क्योंकि वो गहरी नींद सोना चाहती थी…थक चुकी थी बहुत….

Language: Hindi
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