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14 May 2019 · 1 min read

न होंगे

न होंगे।
सजा कितनी भी महफिल और शामें
मगर महफिल की रौनक हम न होंगे।

बारबां याद आएगी, तुझको हमारी
ढूंढोगे लाख लेकिन, हम न होंगे।

मिलेंगे खूब ही तुम्हें सुनो, नायाब हीरे
फिज़ा में पाकिज़ा हम शबनम न होंगे।

इश्क़ में उलझने भी, बेल सी बढती रहेंगी
अगर हमदम नीलम,तिरे जो हम न होंगे।

मिलेंगे खूब ही दिल फेंक आशिक
मगर मुझसे सनम नीलम,न होंगे।
नीलम शर्मा✍️

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