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13 Jul 2017 · 1 min read

#नज़राना

बेमतलब की ये ; सारी दुनियादारी है ।
तेरे एहसान मुझपे , जिन्दगी से भारी है ।

जिन्दगी की शामें तेरे आँचल में गुज़ारी है
नश्तर चुभोना उसमें ; क़यामत से भारी है ।

तू माँग ले ये ज़िस्म ,और ये जान तुम्हारी है
मंदिर में मेरे दिल के ; बस मूरत तुम्हारी है ।

मेरे ज़हनों-ज़िस्म में ; खुशबु तुम्हारी है ,
पास जो दिल के हो तो, ज़न्नत हमारी है ।

तेरे एहसान मुझपे , जिन्दगी से भारी है …….

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