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6 Dec 2016 · 1 min read

नोट के तेवर—मुक्तक—डी. के. निवातिया

नोट के तेवर क्या बदले, बहुत कुछ बदल गया !
छोड़ काम धाम इंसान लंबी कतार में ढल गया !!
कल तक तिजोरी में बंद सर चढ़कर बोलता था
वो धन आज गन्दी नालियो में बहता मिल गया !!

!

!

!

डी. के. निवातिया

Language: Hindi
607 Views
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