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20 Mar 2017 · 1 min read

“नेता हमारे “(व्यंग्य कविता)

“नेता हमारे”(व्यंग्य कविता)
ईद के चाँद होते हैं
झूठ की दुकान होते हैं
एक बारी आकर के
पाँच वर्षीय मेहमान होते हैं
ओढ़े ईमान की चादर
सारे ही बेइमान होते हैं।

योग्यता की बात न पूछो
मानदंड गुण्डागर्दी हैं
जेहनी तौर पर दागदार हैं
पर, पहनते सफेद वर्दी हैं
लगते बाहर से भगवान
पर अंदर से शैतान होते हैं।

झूठें वादों में महारती
बातें करते हैं मोहब्बती
मीठा बोलना खूबी इनकी
सदा करते हैं चापलूसी
लगते बाहर से पाक साफ
पर अंदर से गुनहगार होते हैं।

घोटालों की बात न पूछो
घपलों के सरदार होते हैं
हर कार्य हर ठेके पर
कमीशन के हकदार होते हैं
दबा न पाये कोई इनको
सब के सब रसूखदार होते हैं।

नेताओं की गलती नहीं है
चुनकर इन्हें हम लाते हैं
चंद रूपयों की खातिर
चुनाव में हम बिक जाते हैं
योग्य आदमी को छोड़कर
गधहों को जितवाते हैं
इसलिए सारे घोड़े सो जाते हैं
और गधे सरकार चलाते हैं।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 9230 Views
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