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7 Feb 2020 · 1 min read

नव वर्ष

यादों की गठरी दिए, गया वर्ष उन्नीस।
ओढ़ दुशाला सर्द की, द्वार खड़ा है बीस।। १

श्वेत रुई की फाह-सी,मन में उठा विचार।
नवल वर्ष का किस तरह ,करना है सत्कार।।२

बाँध लड़ी नव रश्मियाँ, खड़ी हुई है द्वार।
चंदन केशर घोल कर, चलने लगी बयार।।३

अंबर में दीपक जले, मंगलमय संसार।
नवल वर्ष आशा लिए फिर से आया द्वार।।४

शीत प्रीत का वक्त है, चलो मनाये हर्ष।
स्नेह बाजुओं में भरे, आया है नव वर्ष।।५

लाया है नव वर्ष फिर,सपनों का झंकार।
बाँट रहा हर एक को, खुशियों के उपहार।।६

कठिन जिन्दगी हो सरल, मिले सभी को हर्ष।
अपनों के आशीष से, सफल रहे नव वर्ष। ।७

रंग बिरंगी फूल में ,खुश्बू का सैलाब।
नवल वर्ष हर एक का, पूरा करना ख्वाब।।८

लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
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