Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2018 · 1 min read

नवयुग का आगाज़

नवयुग का आगाज़
✒️
मंद हुआ वासंती झालर, बंद महक, चिड़िया चहकार;
बागीचों में, बागानों में, मूक खड़े पादप फ़नकार।
द्रवित नेत्र सुंदर पुष्पों के, नहीं मिले नन्हीं पुचकार;
नन्हे हाथों ने थामा अब, मोबाइल का दामन, भार।
गुंजन ना गूँजे कानों में, बड़ा मशीनी है परिवार;
रहें साथ नित ही निशि वासर, नहीं दीखता फिर भी प्यार।
फिरता रहे उदासी भरकर, बगियन में गुमसुम मधुमास;
तितली भी अब सुस्त हो गई, पीछे ना भटकें बदमाश।
छुट्टी बीत गयी गरमी की, नहीं दिखे पग बाहर चार;
बंद सलाख़ों सी दीवारें, करती हैं उनका दीदार।
हवा शुद्ध क्या होती है यह, नहीं पता उनको पहचान;
अनुकूलित हो गये घरों में, गैजेट घेरे हुए महान।
जब से कागज लगा सिमटने, इंटरनेटी सभी सुजान;
बच्चे टचस्क्रीन में उलझे, नैया अब बिल्कुल अनजान।
कहीं कलेजा ऐंठ खड़ी है, बरखा रानी बहुत उदास;
बादल भी बेढंगे दिखते, बरखा का जल हुआ निराश।
बहता पानी मोहल्ले से, बनकर दीन चला समंदर;
कागज की नाव नहीं एक भी, ना कोई नहाया अंदर।
कश्ती बस प्रेमी को जँचती, उनके प्रेम की मोहताज़;
मोबाइल से कर बैठे हैं, बच्चे नवयुग का आगाज़।
…“निश्छल”

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 573 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सीता नवमी*
*सीता नवमी*
Shashi kala vyas
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
जिंदगी,
जिंदगी,
हिमांशु Kulshrestha
3125.*पूर्णिका*
3125.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
* सत्य पथ पर *
* सत्य पथ पर *
surenderpal vaidya
सियासी खबरों से बचने
सियासी खबरों से बचने
*Author प्रणय प्रभात*
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
Paras Nath Jha
मोहन कृष्ण मुरारी
मोहन कृष्ण मुरारी
Mamta Rani
श्री राम अर्चन महायज्ञ
श्री राम अर्चन महायज्ञ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बुढ्ढे का सावन
बुढ्ढे का सावन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बुरा ख्वाबों में भी जिसके लिए सोचा नहीं हमने
बुरा ख्वाबों में भी जिसके लिए सोचा नहीं हमने
Shweta Soni
कोई नहीं देता...
कोई नहीं देता...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
चिराग़ ए अलादीन
चिराग़ ए अलादीन
Sandeep Pande
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
Shashi Dhar Kumar
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
Rj Anand Prajapati
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
गज़ले
गज़ले
Dr fauzia Naseem shad
कुएं का मेंढ़क
कुएं का मेंढ़क
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दृढ़
दृढ़
Sanjay ' शून्य'
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
उम्मीदें  लगाना  छोड़  दो...
उम्मीदें लगाना छोड़ दो...
Aarti sirsat
♥️
♥️
Vandna thakur
"रंग वही लगाओ रे"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"वो कलाकार"
Dr Meenu Poonia
Loading...