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23 Feb 2021 · 1 min read

नदी और जंगल

नदी आज कुछ सहमी
हुई है
एक शीतल हवा के झोंके सी
यह बह भी
हौले हौले रही है
कहना कुछ चाह रही है
लेकिन इसे भी शायद
नहीं पता कि
क्या
इसके आसपास बसे
जंगल में
जब शोर होता है तब
इसकी आवाज दब जाती है और
जब यह खामोश होता है
तो मुंह से निकलते निकलते
इसकी चीख अंदर ही कहीं
दब कर रह जाती है
दोनों के बीच कभी
संवाद हो ही नहीं पाता
एक दूसरे तक पहुंचने का
रास्ता था कभी समीप
अब है बहुत दूर
लाख चाहने पर भी
दोनों के बीच का रास्ता
पट नहीं पाता
फासला तय नहीं हो पाता
दोनों को एक दूसरे से
अब लाख चाहकर भी
वही पहले वाला
पुराना सा
जाना पहचाना सा
पूरा सा
नहीं कहीं भी कुछ अधूरा सा
प्यार हो ही नहीं पाता।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
238 Views
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