Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Oct 2020 · 4 min read

नंदिनी (कहानी)

जनवासे से लड़की के घर तक नाचते आतिशबाजी करते दो-तीन घंटे में बरात पहुंची थी। द्वाराचार के पश्चात वरमाला भी हो गई थी, घराती एवं बारातियों के दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाने का कार्यक्रम चल रहा था, सभी बहुत खुश थे, तभी अचानक एक जीप आई जिसमें ४ _५ लोग एवं एक युवती आई थी, जो रवि ( दूल्हा) के पिता एवं जीजा को एक और ले जाकर बात कर रहे थे। बीच-बीच में बात जोर-जोर से होने लगती थी, शादी विवाह के माहौल में किसी का अधिक ध्यान नहीं गया। थोड़ी देर के बाद दूल्हे के पिता एवं जीजा जी ने लड़की के पिता को बुलाकर कहा कि अब शीघ्र फेरे करवा लीजिए क्योंकि लड़के की दादी का निधन हो गया है इसलिए हम शीघ्र घर जाएंगे अभी बहू की विदा नहीं कराएंगे। समय की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र फेरे करवा दिए गए एवं बरात शीघ्र रवाना हो गई। लेकिन लड़की के पिता एवं सभी रिश्तेदारों के पैरों तले जमीन जब खिसक गई जब पता चला कि कोई दादी बादी का निधन नहीं हुआ है, जीप में जो लोग एवं युवती आई थी, दूल्हे ने पहले ही उससे कोर्ट मैरिज कर ली थी। यहां बारात को जूते ना पड़ें कानून से डरकर बारात आनन-फानन में बिना बहू की विदा कराए वापस चली गई है। यह बात कोई भला मानुस बाराती जाते-जाते लड़के के किसी रिश्तेदार को बता कर चला गया था। सुनकर नंदिनी( दुल्हन) तो जैसे पथरा गई कितने सपने संजोए थे पलभर में ही चकनाचूर हो गए। सुबह ही लड़की के पिता कुछ रिश्तेदारों के साथ लड़के के गांव रवाना हुए पहुंचकर पता चला जो जानकारी मिली थी सत्य थी। लड़के ने कुछ ही दिन पहले एक दलित लड़की से कोर्ट मैरिज कर ली थी। लड़के रिश्तेदार लड़की वालों से बार-बार माफी मांग रहे थे, कह रहे थे इस बारे में हमें बिल्कुल पता नहीं चला था जब वह लड़की और उसके चार रिश्तेदार वहां हंगामे के मकसद एवं पुलिस कार्रवाई की बात कर रहे थे, इसलिए हमने आपसे झूठ बोला आप की लड़की आपके घर में है, समझो भगवान ने हमें बचा लिया आपका जो खर्च हुआ है हम सब भुगतान करने तैयार हैं। लड़के के पिता ने कहा हमारी इज्जत, लड़की की बदनामी, कैंसे होगी उसकी दूसरी शादी? बहुत बातें हुई आखिर लड़की वाले यही संतोष कर रह गए, चलो अच्छा हुआ लड़की को विदा नहीं किया, आगे कानूनी पचड़े में ना पढ़ते हुए वह घर लौट आए नंदनी घरवाले सभी दुखी रहने लगे। नंदिनी की सगाई तो आती, लेकिन कहीं ना कहीं से अतीत में हुई शादी का पता लगते ही कोई शादी को तैयार ना होता। क्योंकि हमारा समाज है ही ऐसा, सारी बुराइयों का ठीकरा लड़की के सर ही फोड़ता है, चाहे गलती किसी की भी क्यों न हो। आखिर एक रिश्ता मिला विदुर था, 2 माह का बच्चा छोड़ पत्नी मर गई थी, उसे दूसरी पत्नी की आवश्यकता थी, बच्चा जो पालना था, शादी कर दी गई, नंदनी भी बच्चा पालने में लग गई। लगभग 2 वर्ष बाद नंदनी भी गर्भ से हो गई, एवं एक सुंदर बालक को जन्म दिया। लेकिन बालक का जन्म होते ही ससुराल बारे सास ससुर यहां तक कि पति भी नंदनी को प्रताड़ित करने लगे, हल्की सोच थी, उनका सोचना था जायदाद बंट जाएगी यह सौतेली मां है, आखिर अत्याचार सहते सहते नंदिनी को अपने बच्चे के साथ ससुराल छोड़नी पड़ी, मायके में आई लेकिन परिस्थितियों बस मायके में भी उसे सहारा नहीं मिला, बच्चा था खुद थी। मेहनत मजदूरी घरेलू काम कर नंदनी अपने बच्चे को पढ़ा रही थी। आखिर 20 वर्ष निकल गए नंदिनी का बेटा शिक्षक बन चुका था। एक दिन पहली शादी जिससे हुई थी वह आ गए बोले, हमें कोई औलाद नहीं है, अगर तुम साथ चलो तो यह सब तुम्हारा तुम्हारे बच्चे का हो सकता है, क्योंकि तुम्हारी बिधिबत शादी समाज के सामने हुई थी, नंदनी को लाल जोड़े में बिना विदा के दुल्हन बनने से लेकर सारे संघर्ष याद आ गए, आंखों में आंसू थे। तभी जहां दूसरी शादी हुई थी उनकी खबर आ गई कि जो पूर्व पत्नी से बच्चा हुआ था, जो नंदिनी ने पाल पोस कर बड़ा किया था उसका देहांत हो गया है। अब तुम अपने घर चलो यह सारी ज्यादा तुमको और तुम्हारे लड़के को मिलेगी। नंदिनी और नंदिनी के शिक्षक पुत्र ने ठंडी आह भरी, समाज का स्वार्थी एवं घिनौना चेहरा सामने था, इन खबरों के पलों में 25 साल पुराने संघर्ष में जी लिए हों, दोनों ने कहा माफ करें अब हमें आप लोगों से आप की जमीन जायदाद से कोई लेना देना नहीं है, हमें कुछ नहीं चाहिए। अब आप अपने कर्म भुगतो,समय के साथ हमारे घाव भर गए हैं,जब हमें आप लोगों की महती आवश्यकता थी,तब आप लोगों ने धोखा दिया,अब जब भगवान ने आपको अपने कर्मों की सजा दी, तो तुम्हें बेटा पत्नी याद आ रहे हैं,धिक्कार है ऐसी समाज व्यवस्था पर।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 787 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
Dr Archana Gupta
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सूरज आएगा Suraj Aayega
सूरज आएगा Suraj Aayega
Mohan Pandey
पुस्तक परिचय /समीक्षा
पुस्तक परिचय /समीक्षा
Ravi Prakash
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
Atul "Krishn"
चन्द्रयान-3
चन्द्रयान-3
कार्तिक नितिन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"छिन्दवाड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
#कौन_देगा_जवाब??
#कौन_देगा_जवाब??
*Author प्रणय प्रभात*
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
शेखर सिंह
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
Kumar lalit
भीड़ में खुद को खो नहीं सकते
भीड़ में खुद को खो नहीं सकते
Dr fauzia Naseem shad
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत  है।
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
सावन: मौसम- ए- इश्क़
सावन: मौसम- ए- इश्क़
Jyoti Khari
माफी
माफी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शासक की कमजोरियों का आकलन
शासक की कमजोरियों का आकलन
Mahender Singh
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
अभिषेक किसनराव रेठे
चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
3065.*पूर्णिका*
3065.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मरासिम
मरासिम
Shyam Sundar Subramanian
जाते हो.....❤️
जाते हो.....❤️
Srishty Bansal
संसद
संसद
Bodhisatva kastooriya
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
surenderpal vaidya
दिल दिया था जिसको हमने दीवानी समझ कर,
दिल दिया था जिसको हमने दीवानी समझ कर,
Vishal babu (vishu)
काले समय का सवेरा ।
काले समय का सवेरा ।
Nishant prakhar
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अधीर मन खड़ा हुआ  कक्ष,
अधीर मन खड़ा हुआ कक्ष,
Nanki Patre
Loading...