दोहे.. आगामी चुनाव से …
दोहे.. आगामी चुनाव से …
बेटे से पद छीनता,कितना बाप कठोर
यौवन ययाति सा मिले,बात यही पुरजोर
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पिता पुत्र से बोलता ,देखो वीर सपूत
सायकल तुझे सौप दूँ ,और निकाल सबूत
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सब की है ढपली यहाँ ,सबके अपने राग
ढोल-नगाड़े पीटना ,सुर जाए जब जाग
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महसूस नहीं हो हमे ,कतरो ऐसे पंख
महा-समर आरंभ हो ,बज जाए फिर शंख
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फिर चुनाव आना हुआ,निकले वन से राम
हर बगल है छुरी दबी,रखो काम से काम
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मानवता की आड़ में,दानव रहा दहाड़
आशंकाओं का कहीं, गिरे न मित्र पहाड़
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सुशील यादव
9.1.2017