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29 Jul 2016 · 1 min read

*****दोहे*****

(१)
धरम करम के सार को, रहे कृष्ण जी सींच ।
राजनीतिक के व्याल को, रक्खा मुट्ठी भींच ।।
(२)
धडक-धडक करता जिया, रोते नित ये नैन ।
जातपाँत के रोग ने, छीना सबका चैन ।।
(३)
मेघों ने प्रलाप किया, झर-झर बूँदें नीर ।
भू ने उनको थामकर, हर ली सबकी पीर ।।

*******सुरेशपाल वर्मा जसाला

Language: Hindi
1 Like · 551 Views
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