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17 Dec 2016 · 1 min read

दोहा मुक्तक

दो दोहा मुक्तक

दो दोहा मुक्तक:
०००
1.
ठिठुरन बढ़ती जा रही,कलम लिखे अब आग।
तभी ताप समुचित मिले,उठा कलम अब जाग।
चुनौतियों से डर नहीं, कर ले तू स्वीकार,
डाल आँख में आँख अब, कर बातें मत भाग।
०००
2.
गीत-ग़ज़ल-दोहा लिखो,हो उसमें कुछ सार।
भाव प्रबल सुन्दर रहे,उचित मात्रा भार।
श्रिजन धर्मिता में नहीं,मनुज-मनुज में भेद,
मानवता का अर्थ है,हो मानव से प्यार।
०००
@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
468 Views
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