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19 Nov 2016 · 1 min read

देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये

जाननी थीं स्वयं खामियाँ इसलिये
देख लीं आपकी खूबियाँ इसलिये

चूँकि हम आम इंसान ही हैं यहाँ
हमसे होती रहीं गलतियाँ इसलिये

याद में डूबना दिल को अच्छा लगा
भा रहीं आज तन्हाइयाँ इसलिये

बात करने लगे नैन से नैन अब
बन गईँ चाह खामोशियाँ इसलिये

प्यार के दीप बुझ ही न जायें कहीं
रोक नफरत की लीं आँधियाँ इसलिये

चाँद से माँगनी थी पिया की उमर
‘अर्चना’ को सजीं थालियाँ इसलिये

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Comment · 488 Views
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