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7 Nov 2019 · 1 min read

दीये की अभिलाषा

दीये की अभिलाषा

मैं दीया हूँ
अंधकार मिटाना
चाहता हूँ
प्रकाश फैलाना
चाहता हूँ
तूफानों से
जूझ रहा हूँ
कभी जल
कभी बुझ रहा हूँ
तेल है काफी
बात्ती भी है
तेज हवाएँ
सताती भी हैं
मुझे बुझाना
चाहती भी हैं
मुझे खूब
फङफङाती भी हैं
लेकिन मैं
जलना चाहता हूँ
सारा अंधकार
निगलना चाहता हूँ

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
2 Likes · 373 Views
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