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4 Apr 2017 · 1 min read

इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।

दीप बनकर मैं, घनी- काली निशा में जल रहा।
ज्ञानमय पावन सुपथ सह जागरण बन चल रहा।
आप सब के नेह ने, मुझको दिया है हौसला,
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

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