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12 Sep 2017 · 1 min read

***दरद जिया का ***

* सावन आयो सजनवा ना आयो जी
** लायो बहार संग दुःखवा भी लायो जी।
*** रिमझिम बरसे बदरिया से बुंदियां
**** झरझर बरसे हैं गोरिया के अंसुवा।
***** यूं घुलमिल गए दोनों
****** न पहचाने कोई।
******* कौन सा है अंसुवा
******** और कौन सी है बुंदिया।

—-रंजना माथुर दिनांक 27/06/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
480 Views
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