Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2017 · 1 min read

थम जाता

थम जाता
✍✍✍✍✍

पल वो एक थम जाता तो
हिसाब तेरे चूकता
मैं सब कर देती

पल एक वो थम जाता तो
वर्ष नए को तब मैं
सुधार लेती

पल वो एक थम जाता वर्ष का
याद अपने को मैं बार
बार कर लेती

पल वो एक थम जाता नव वर्ष का
साथ तेरे बीता कल मैं
दोहरा लेती मैं

पल एक थम जाता आखिर दिन का
मुड़ – मुड़ कर देख लेती पीछे
कर लेती इन्तजार

पल वो एक थम जाता तो कर लेती
प्यार दिल भर कर तुमको
अपना बना लेती

पल एक थम जाता है आखिरी दिन का
हर साँस का हिसाब तुझको
दे देती तब हीँ मैं

पल एक वो थम जाता नव वर्ष का
सब तन्हाईयों को दूर कर
मैं लेती संग तेरे

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 741 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
स्त्रीत्व समग्रता की निशानी है।
स्त्रीत्व समग्रता की निशानी है।
Manisha Manjari
Moti ki bhi ajib kahani se , jisne bnaya isko uska koi mole
Moti ki bhi ajib kahani se , jisne bnaya isko uska koi mole
Sakshi Tripathi
सावन महिना
सावन महिना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मै जो कुछ हु वही कुछ हु।
मै जो कुछ हु वही कुछ हु।
पूर्वार्थ
* शुभ परिवर्तन *
* शुभ परिवर्तन *
surenderpal vaidya
शिल्पकार
शिल्पकार
Surinder blackpen
सिर घमंडी का नीचे झुका रह गया।
सिर घमंडी का नीचे झुका रह गया।
सत्य कुमार प्रेमी
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
sushil sarna
हम
हम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
Mohan Pandey
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
Harminder Kaur
ठगी
ठगी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
वक्त गिरवी सा पड़ा है जिंदगी ( नवगीत)
वक्त गिरवी सा पड़ा है जिंदगी ( नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
Shweta Soni
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
चलो मौसम की बात करते हैं।
चलो मौसम की बात करते हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
Ravi Prakash
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
Radhakishan R. Mundhra
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
2913.*पूर्णिका*
2913.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आग हूं... आग ही रहने दो।
आग हूं... आग ही रहने दो।
Anil "Aadarsh"
चार पैसे भी नही....
चार पैसे भी नही....
Vijay kumar Pandey
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मिलकर नज़रें निगाह से लूट लेतीं है आँखें
मिलकर नज़रें निगाह से लूट लेतीं है आँखें
Amit Pandey
अच्छा इंसान
अच्छा इंसान
Dr fauzia Naseem shad
"सफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...