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17 Sep 2016 · 1 min read

त्रिभंगी – छन्द

त्रिभंगी – छन्द
. . . . . . . . . . . .
हाँ इसके बिन ये, मुश्किल दिन ये, इससे जीवन, धारा है
कि हवा मेँ भाई, बदबू छाई, बढ़ता जाता, पारा है
देखो भर डाला, हमने हाला, पौधो को भी, मारा है
ये दुख सह लेगा, ना सुधरेगा, मानव खुद से, हारा है

– आकाश महेशपुरी

Language: Hindi
470 Views
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