तेरी ये लीला
रक्त-रंजित ना करों प्रभु,अपनी सुहाषित इस धरा को
अकाल मृत्यु से बचा लो,धरा पर अपनी संतान को
देख आकर एक बार धरा पर,माँ बिलखती पुत्र को
आज मानव तड़फता देख,धरा पर एक एक सांस को
आज तू निष्ठुर न हो,माफ कर ओलाद को
गलतियां जो भी हुई,अब भूल जा सब बात को
प्राणवायु को तड़पती,गिड़गिड़ाती संतान तेरी
आकर तू संभाल ले,आज दुखी संतान तेरी
अब परीक्षा रोक प्रभु,हो गई अब बहुत अति
क्या कहे हम शर्मिंदा हैं, मारी गई थी हमारी मति
नही देखा कभी स्वार्थवश हमने,किया धरा का दोहन
अंतर मन से माफ करो प्रभु,बंद करो धरा पर रुदन।
बंद करो मेरे प्रभु अब अपनी निष्ठुर ये लीला
देख तेरी संतान अब झेल रही मौत की ये लीला
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद