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1 Mar 2017 · 1 min read

!!!! तेरी फितरत ही है, बेचैन !!

इंसान की सोच का अब कुछ भरोसा नहीं,
वहाँ भागता है, जहाँ मिलना कुछ नहीं
हाथ पांव ऐसे मारता है जैसे हिरण की छलांग
और गिर के उठता नहीं, हाथी की तरह……..

मन को अपने कुछ पल के लिए
भगा रहा है, सब छोड़ घर सुख चैन
क्या कहूं तेरे मन की मैं अब यहाँ से
तेरे से तो तेरे घर रहने वाले हैं बेचैन……

फितरत को अपनी संभाल कर रख
कभी बुरे वक्त में आ जायेगी तेरे काम
देखता तो तू कहीं और है और करता कुछ और
दिमाग को अपने शांत रख , नहीं तो सदा रहेगा बेकाम …….

गहराई में सोच और समझ जरा मन लगा के
जिस तरफ तू बढ़ रहा, है कांटो का ताज है वहां पे
किस्मत में अगर लिखा हुआ तेरे तू नहीं रहेगा आबाद
इस ज़माने का क्या, पल भर में कर देंगे तुझ को बर्बाद ….

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
487 Views
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