तूफ़ा में डूबा साहिल नजर नही आता
तूफ़ा में डुबा साहिल नजर नही आता
◆ऐसा नहीं के वो मेरे शहर नही आता,
धुँधली यादों में वो नज़र नहीं आता।
◆चली आती है कहर बन यादें उनकी
तूफान में डूबा साहिल नज़र नही आता।
◆कितनी राते गुज़री है रो रोकर मेरी,,
खुशियों का अब वो मंजर नजर नही आता।
◆उदासी चेहरे पर है कितनी मेरे,,
लबों को अब मुस्कुराना नही आता।
◆इश्क में दिल टूटा है कई बार हमारा
अब गैरों पर बिल्कुल यक़ीन नही आता।
◆दूरियां बड़ा रहे अजनबी समझकर मुझसे,,
क्यूँ अब उनको मुझे अपना बनाना नही आता।
◆नग़्मे तो किताबों में पड़े है बहुत
पर जाने क्यूँ अब मुझे गुनगुनाना नही आता।
गायत्री सोनु जैन