तकदीर
आज मेरी तकदीर रुसवा हुई है मुझसे ,
ना जाने क्या बात है जो खफा है मुझसे ,
तुम्ही बताओ दोस्तों ! अब मैं क्या करूँ ?
की उसके बिना कैसे जिया जाएगा मुझसे .
आखिर क्यों एतबार नहीं करते ,
अपनी रूठी तकदीर पे हम ,
क्यों उसके सितम भूलकर मुस्कुराते हैं,
मगर पाते है फिर भी गम .