Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2020 · 2 min read

ठकुर सुहाती(सत्य घटना आधारित कहानी)

ठाकुर पृथ्वी सिंह जमीदार थे, उन्होंने हवेली परिसर में राधा कृष्ण का मंदिर बनवाया था। भगवान की सेवा पूजा में एक सीधे-साधे सरल स्वभाव के पंडित जी नियुक्त थे, जिन्हें पारिश्रमिक बतौर कुछ अनाज दिया जाता था। पंडित जी बड़े भाव से भगवान की सेवा पूजा नित्य नियम से किया करते थे। ठाकुर साहब भी रोज भगवान के दर्शन को मंदिर आया करते थे, लेकिन आने का कोई समय निर्धारित नहीं था। जब दरबार में ठाकुर सुहाती पूरी हो जाती, मंदिर आ जाते। पंडित जी भी अपने नियम धर्म से पूजा अर्चना में लगे रहते, यदि ठाकुर साहब पूजा अर्चना आरती के बाद आते तो पंडित जी चरणामृत प्रसाद दे दिया करते थे। भगवान की पूजन अर्चन के बीच ठाकुर साहब मंदिर आते, खांसते हुए, पंडित जी का ध्यान भंग करने की कोशिश करते, लेकिन पंडित जी बीच में कभी भी ठाकुर साहब की ओर ध्यान न देते थे। ठाकुर साहब को पंडित जी का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता था। एक दिन ठाकुर साहब पूजा आरती के बाद मंदिर आए, पंडित जी भी अपने आसन पर विराजमान थे, उन्होंने ठाकुर साहब को चरणामृत प्रसाद दिया। ठाकुर साहब पंडित जी की ओर मुखातिब होते हुए बोले, पंडित जी आप बुरा न माने तो एक बात कहूं? पंडित जी बोले एक नहीं दो कहें, बुरा मानने जैसी हमको क्या बात हो सकती है? ठाकुर साहब बोले पंडित जी हम रोज मंदिर दर्शन को आते हैं, आप हमारे ऊपर ध्यान ही नहीं देते, हम बिना चरणामृत प्रसाद के ही दर्शन कर चले जाते हैं? पंडित जी बोले ठाकुर साहब आप अगर बुरा न माने तो मैं भी कुछ कहूं? आपने मुझे भगवान की सेवा पूजा को रखा है या आपकी सेवा में? आप अगर भगवान की सेवा आरती के बाद समय पर आएंगे आप को बराबर चरणामृत प्रसाद मिलेगा भगवान की सेवा पूजा के बीच मैं आपकी सेवा नहीं कर सकूंगा, आपको अगर मेरे द्वारा भगवान की सेवा पूजा करवाना है, तो ठीक है, मुझे ठाकुर सुहाती नहीं आती, अन्यथा आपका निजी मंदिर है, आप स्वतंत्र हैं। मैं हरि इच्छा समझ कर आपका हर निर्णय सहर्ष स्वीकार करुंगा।ठाकुर को पंडित जी की बात चुभ गई,अहं को ठेस पहुंची, ठाकुर साहब ने तत्काल पुजारी बदल दिया।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 657 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सांझा चूल्हा4
सांझा चूल्हा4
umesh mehra
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
बेचारे हाथी दादा (बाल कविता)
बेचारे हाथी दादा (बाल कविता)
Ravi Prakash
धर्मग्रंथों की समीक्षा
धर्मग्रंथों की समीक्षा
Shekhar Chandra Mitra
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
भूख
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*कोई नई ना बात है*
*कोई नई ना बात है*
Dushyant Kumar
नई तरह का कारोबार है ये
नई तरह का कारोबार है ये
shabina. Naaz
अलार्म
अलार्म
Dr Parveen Thakur
उसको फिर उसका
उसको फिर उसका
Dr fauzia Naseem shad
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मईया कि महिमा
मईया कि महिमा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
Dr. Mulla Adam Ali
■सस्ता उपाय■
■सस्ता उपाय■
*Author प्रणय प्रभात*
2981.*पूर्णिका*
2981.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारी है जुस्तजू
तुम्हारी है जुस्तजू
Surinder blackpen
जवाबदारी / MUSAFIR BAITHA
जवाबदारी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
"द्रौपदी का चीरहरण"
Ekta chitrangini
"तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया,
शेखर सिंह
"मन्नत"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-61💐
💐अज्ञात के प्रति-61💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
VINOD CHAUHAN
गांव की बात निराली
गांव की बात निराली
जगदीश लववंशी
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
केवट का भाग्य
केवट का भाग्य
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
Loading...