Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2017 · 3 min read

जीवन दान

रोज की तरह मैं आज भी अपने क्लीनिक में समय पर पहुँच गयी थी | क्लीनिक के बाहर सुबह मेरे पहुँचने से पहले ही रोज की तरह कई महिला मरीज मेरे आने की प्रतीक्षा कर रहीं थीं | मुझे देखते ही उनके चेहरे पर चमक आ गयी थी क्योंकि आज मैं पुरे १५ दिनों के बाद क्लीनिक गयी थी , मैंने भी अपनी बेटी को जन्म दिया था , सच कितना सुखद लग रहा था की अब मुझे भी कोई माँ पुकारने वाली मिल गयी है | मैं चाहती तो थी की अभी १५ दिन और आराम करती और अपनी बेटी के साथ समय बिताती, परन्तु हम डाक्टरों के लिए अपने से अधिक हमारे मरीज अजीज़ होते हैं जो हममें आस्था रखते हैं और हमारी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं , हमें छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहते हैं |ये सोचकर मैंने आज ही ज्वाइन कर लिया था |

मैं एक एक करके मरीज महिलाओं को बुलवाती और देखती रही | तभी एक ऐसी महिला दाखिल हुई जो अपनी बेटी को साथ लेकर आई थी | उस महिला से मैंने तकलीफ के विषय में पूछा तो उसने कहा कि “मुझे नहीं मेरी बेटी को देखना है |” अत: मैंने उसकी बेटी से पूछा तो उसकी माँ ने कहा कि डाक्टर मैडम “मेरी बेटी ——- शादी से पहले ही——एक लड़के ने धोखा दिया | इसको ऐसे हाल में छोड़कर —— ऐसी हालत में किसी को क्या मुँह दिखायेंगे ” मैंने कहा “अब क्या चाहती हो” उसने कहा कि मैडम आप मुझ पर दया करके इसका बच्चा गिरा दीजिये | यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया कि ये लोग अपने बच्चों पर तो कण्ट्रोल करते नहीं, उनको सही शिक्षा तो देते नहीं और चले आते हैं हमसे ये गलत काम करवाने , मैंने उसको बहुत जोर से डांट कर मना कर दिया, इस पर वो मेरे पैरों पर गिर गयी , बहुत साधारण सी लग रही थी वर्ना वो कहीं और जाकर पैसों के दम पर अपना मनचाहा करवा सकती थी | मेरे मन ने ऐसा करना गंवारा नहीं किया, मैं सोच में पड गयी ,लेकिन पुनः मैंने उस महिला और उसकी बेटी को वहां से चले जाने को कहा| तभी अगली महिला मरीज़ अपने पति के साथ अन्दर दाखिल हुई | मैं उनको पहले से जानती थी , ये महिला पिछले ३/४ महीनो से मुझे दिखने आ रही थी , उसको विवाह के कई साल बाद भी कोई बच्चा नहीं हुआ , कई जगह इलाज कराने पर ही मेरे पास आयी थी , मैंने उसके और उसके पति की जांच के लिए टेस्ट लिखे थे, जिसकी रिपोर्ट साथ लेकर आई थी , उसकी सारी रिपोर्टों को देखने पर इस नतीजे पर पहुंची कि वो कभी माँ नहीं बन सकती , जिसको सुनकर वे दोनों पति पत्नी बहुत दुखी हो गए, कोई रास्ता नहीं बचा था | मैंने इन दम्पति को बच्चा गोद लेने की सलाह दी , इस पर उन्होंने सोच विचार करने के बाद मुझ पर ही बच्चा गोद दिलवाने की जिम्मेदारी सौंप दी क्योंकि वे मुझ पर बहुत विश्वास करते थे और चिकित्सा के विषय में अन्य सलाह मशवरा भी करते रहते थे | तभी सहसा मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और मैंने अपनी सहायिका को बाहर जाकर उस महिला और उसकी बेटी को बुलाकर लाने को कहा जो बाहर बैठी अब भी बच्चा गिराने के लिए मेरे हाँ कहने की प्रतीक्षा कर रहीं थीं | मैंने उन माँ बेटी और उन दम्पति को आमने सामने करा दिया |
करीब ६ महीने बाद मैं रोज की ही तरह अपने क्लीनिक में अपनी महिला मरीज़ देख रही थी कि वे दम्पति जो एक दिन इसी क्लीनिक में काफी निराश होकर बैठे थे, उनको गोद में बच्चा लिए आते हुए देखा ,उनके चेहरे से अपार ख़ुशी झलक रही थी उन्होंने प्रसन्नता से रूंधे हुए गले से कहा कि “डाक्टर दीदी आपने हमें ये बच्चा दिलाकर जीवन दान दे दिया है, आपका कैसे शुक्रिया अदा करें |” सच उस दिन घर लौटते हुए मेरे मन में बहुत संतोष था कि आज सही अर्थों में मैंने डाक्टर होने का फ़र्ज़ अदा किया है | मैं अपने घर पहुंची अभी गाड़ी से उतर ही रही थी कि वह महिला और उसकी बेटी मेरे पैरों पर गिर पड़े और उस समस्या से बाहर निकालने के लिए धन्यवाद किया | उस दिन मुझे यह अहसास हुआ कि एक सही निर्णय किसी को जीवन दान दे सकता है |

Language: Hindi
1 Like · 497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Thought
Thought
Jyoti Khari
बनारस
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुम मेरे हो
तुम मेरे हो
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
2876.*पूर्णिका*
2876.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी
हिंदी
पंकज कुमार कर्ण
नमी आंखे....
नमी आंखे....
Naushaba Suriya
पिता का बेटी को पत्र
पिता का बेटी को पत्र
प्रीतम श्रावस्तवी
बहुत हैं!
बहुत हैं!
Srishty Bansal
जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
Ravi Prakash
छोड़ भगौने को चमचा, चल देगा उस दिन ।
छोड़ भगौने को चमचा, चल देगा उस दिन ।
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गुप्तरत्न
ऐंचकताने    ऐंचकताने
ऐंचकताने ऐंचकताने
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भ्रम नेता का
भ्रम नेता का
Sanjay ' शून्य'
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
Manju sagar
तोड देना वादा,पर कोई वादा तो कर
तोड देना वादा,पर कोई वादा तो कर
Ram Krishan Rastogi
A setback is,
A setback is,
Dhriti Mishra
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
इस मोड़ पर
इस मोड़ पर
Punam Pande
नारी शक्ति.....एक सच
नारी शक्ति.....एक सच
Neeraj Agarwal
Hum khuch din bat nhi kiye apse.
Hum khuch din bat nhi kiye apse.
Sakshi Tripathi
समय की चाल समझ मेरे भाय ?
समय की चाल समझ मेरे भाय ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वर्तमान गठबंधन राजनीति के समीकरण - एक मंथन
वर्तमान गठबंधन राजनीति के समीकरण - एक मंथन
Shyam Sundar Subramanian
"बेहतर है चुप रहें"
Dr. Kishan tandon kranti
बड़े लोग क्रेडिट देते है
बड़े लोग क्रेडिट देते है
Amit Pandey
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
.
.
Ragini Kumari
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
अंकित आजाद गुप्ता
दिल आइना
दिल आइना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...