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7 Jan 2020 · 1 min read

जीना तुम ऐसे

कभी दिनकर की किरणों मे, कभी बादल की छांवोंं मेंं
कभी उन तंग गलियों में, कभी खुशहाल गाँवों मेंं
बिता के चार दिन इस जिन्दगी के जाना तुम ऐसे
फिजां मे याद हो तेरी, महक हो इन हवांओ मेंं।
-जटाशंकर”जटा”
दिनांक ०४-०१-२०२०

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 485 Views
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