Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2017 · 1 min read

जिंदगी हैं एक सवाल

जिंदगी है एक सवाल,
नही पता इसका हल,
दूर से लगता कितने है खुश,
पास से दिखते है नाखुश,
उलझनाे की है ये पहेली,
नही बनती मेरी सहेली,
बहुत लंबा है इसका सफर,
चाहत है सच्चा हाे हमसफर,
क्याे आते निराशा के भाव,
कब मिटेंगे जिंदगी के ये घाव,
चाराे तरफ फैली अशांति की दलदल,
दिल मे मची बड़ी ही खलबल,
घुट घुट कर कैसा है ये जीना,
जिंदगी के हर गम काे क्याे है पीना,
खुशी के बदले कब मिलेगी वाे खुशी,
झूठी हंसी के पीछे कब आयेगी वाे हंसी,
कितना ओर बाकी है इम्तहान देना,
चलती रहेगी ये डगर कब है रूकना,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
230 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
"कूँचे गरीब के"
Ekta chitrangini
मेरे अल्फाज़
मेरे अल्फाज़
Dr fauzia Naseem shad
एकांत
एकांत
Monika Verma
पल-पल यू मरना
पल-पल यू मरना
The_dk_poetry
कृषक की उपज
कृषक की उपज
Praveen Sain
राम : लघुकथा
राम : लघुकथा
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
It is not necessary to be beautiful for beauty,
It is not necessary to be beautiful for beauty,
Sakshi Tripathi
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
"विकृति"
Dr. Kishan tandon kranti
गीता जयंती
गीता जयंती
Satish Srijan
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बखान सका है कौन
बखान सका है कौन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
‌!! फूलों सा कोमल बनकर !!
‌!! फूलों सा कोमल बनकर !!
Chunnu Lal Gupta
मंटू और चिड़ियाँ
मंटू और चिड़ियाँ
SHAMA PARVEEN
*केवट (कुंडलिया)*
*केवट (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चाँद
चाँद
Atul "Krishn"
नवदुर्गा का महागौरी स्वरूप
नवदुर्गा का महागौरी स्वरूप
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कालजयी रचनाकार
कालजयी रचनाकार
Shekhar Chandra Mitra
#लघुव्यंग्य-
#लघुव्यंग्य-
*Author प्रणय प्रभात*
नादान पक्षी
नादान पक्षी
Neeraj Agarwal
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा
Mukesh Kumar Sonkar
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
Manoj Mahato
अपना मन
अपना मन
Harish Chandra Pande
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
Dr MusafiR BaithA
3181.*पूर्णिका*
3181.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
केवल मन में इच्छा रखने से जीवन में कोई बदलाव आने से रहा।
केवल मन में इच्छा रखने से जीवन में कोई बदलाव आने से रहा।
Paras Nath Jha
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...