जय भोलेनाथ
ॐ नमः शिवाय
गले मे जिनके नागराज विराजे है,,,
भक्त जिनके भांग पीकर मस्ती में नाचे है,,
●ऐसे सर्पधारी के चरणों में मेरा प्रणाम है।।
जटा में जिनके गांगा जगत तारणी का वास है,,,
जग में जिसने अमृत नीर से किया सबका उद्धार है,,
●ऐसे गंगाधारी के चरणों में मेरा प्रणाम है।
पिशाचो से गिरे रहते हरदम जिनका रूप
बड़ा निराला है,,,
जिनके हाथों में त्रिशूल और डम डम बाजे डमरू है,,,
●ऐसे डमरूधारी के चरणों मे मेरा प्रणाम है।
बदन पर जिनके मसानों की भस्म लगी है,,,
अपार सुंदरी शीलवती गौरी जिनकी अर्धांगनी है,,,
●ऐसे गौरीशंकर के चरणों मे मेरा प्रणाम है।।
प्रलयकाल की बेला में जो शिव तांडव करते है,,,
अपनी तीसरी आँख से ब्राम्हाड को समाप्त जो
कर देते है,,,
●ऐसे प्रलयंकारी के चरणों मे मेरा प्रणाम है।।
देवों में देव महादेव जिनका पावन नाम है,,
गिरजापति, त्रिलोकदर्शी जिनके जगत में
अनेकों नाम है,,,
●ऐसे भोलेभंडारी के चरणों मे मेरा प्रणाम है।
जिनका नंदी जैसा बलशाली वाहन है,,,,
ब्रम्हा से जिनका रुद्र रूप में अवतरण हुआ है,,,
●ऐसे रुद्र्धारि के चरणों मे मेरा प्रणाम है।
जो कैलाशगिरी पर तप और आराधना में लीन है,,,
जिसने शरीर पर पहनी मृग की छाल है,,,
●ऐसे कैलाशवासी के चरणों मे मेरा प्रणाम है।
गायत्री सोनु जैन