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8 Jan 2017 · 2 min read

जय बजरंग बली

हास्य रस में प्रस्तुत एक संदेश

जय बजरंग बली

एक बार की बात बताऊँ सुन लो ,मेरे भाई
गर्मी की छुट्टी के दिन थे और थी बंद पढाई
सारा सारा दिन थी मस्ती और नींद की मौज
नहीं थी बंदिश हम पर कोई बड़े मजे थे रोज

एक रोज थे सोए गहरी , नींद में चादर ताने
सतरंगी सपनों के जारी , थे सारे अफसाने
तभी कहीं से उठा पटकने की आवाज़े आई
हमने सोचा ये भी शायद सपना ही है भाई

बहुत देर के बाद भी जब ये रुक न पाया शोर
सोचा आज तो घर में कोई , घुसा हुआ है चोर
लेकिन जैसे ही चादर को ,थोड़ा अलग हटाया
खाट पे अपनी एक मोटा सा बन्दर बैठा पाया

डरके मारे अपनी तो बस निकल गई थी जान
झटके से हम लेट गए जी , फिर से चादर तान
धड़कन थी अब तेज और मन में थी खलबली
अनायास ही मुँह से निकला जय बजरंग बली

थोड़ी देर के बाद जो हमने धीरे से फिर झाँका
तीन और भी थे बंदर जो , डाल रहे थे डाका
रसोईघर के डिब्बों का सब बिखरा था सामान
हनुमान की सेना ने था मचा दिया कोहराम

अभी तलक तो ईश्वर का थे खंडन करते आए
उसके भक्तों का तर्कों से मुंडन करते आए
किंतु उसदिन तो हमको भी दीख गए भगवान
हाथ जोड़कर बोले मन में तुम्ही बचाओ जान

लूटपाट के बाद सभी जब ,कर गए वो प्रस्थान
तो धीरे धीरे उठ कर हमने लिया सभी संज्ञान
उसदिन लेकिन थोड़ी सी ,हो गई ये अजमाइश
अपने ये भगवान सभी ,एक डर की हैं पैदाइश

सुन्दर सिंह
06.01.2017

Language: Hindi
365 Views
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