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4 Apr 2020 · 1 min read

जमाने के संग तुम बदलो

*********जमाने के संग तुम बदलो*********
**************************************

कोई मुर्ख समझता हैं, तो कोई अज्ञानी मुझे समझे
कोई भोला समझता हैं, तो कोई अंजान मुझे समझे
लोगों की समझ तो देखो,मुझे क्या क्या समझता है
कोई अंधभक्त समझता हैं, तो कोई खर मुझे समझे

भेड़ चाल का जमाना हैं,बुद्धि कोई प्रयोग ना करता
रोगी बने सारे फिलते है,योग कोई प्रयोग ना करता
अक्ल पे पड़ गया पर्दा, अक्ल के यहाँ अंथे तो देखो
लकीर के फकीर दिखते हैं,नव राह प्रयोग ना करता

वैज्ञानिक युग में यहाँ पर ,पुरातन प्रयोग रहे करते
आस्था सर्वोपरि यहाँ पर,नूतन प्रयोग नहीं है करते
बुद्धि लब्धि रुक गई जैसे,यहाँ पर बुद्धि स्तर देखो
मनीषी दिखते हैं यहाँ पर,प्रज्ञा प्रयोग नहीं हैं करते

कब से बदला जमाना है, पुरातन सोच तुम बदलो
तन -बदन वही पुराना है ,पर वस्त्र रोज तुम बदलो
नहीं तो रह जाओगे पीछे,वक्त रुकता ना कहीं पर
सुखविंद्र नया जमाना है,जमाने के संग तुम बदलो
***************************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
2 Comments · 251 Views
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