Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2021 · 1 min read

जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात

जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात
*************************
जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात,
दिल में होने लगी है प्यार की बरसात।
नन्हीं नन्हीं बूंदे पड़ने लगी है अब,
हरे होने लगे हैं दोनों के अब वे जज़्बात।।

नभ में छाई है जबसे कारी बदरिया,
मन करता है पहुंच जाऊं मै पास सवरिया।
पहुचू मै पास उनके शहर अब कैसे?
गगन से डरा रही है ये बैरन बिजुरिया।

रिमझिम रिमझिम पानी बरस रहा है अब,
मिलने को पिया से मन तरस रहा है अब।
क्या करूं मै मुझे कोई तो कुछ बताए,
कोई उपाय ना मुझे सूझ रहा है अब।।

जब भी द्वार पर कोई आहट होती है,
मुझे उनके पैरों की आवाज सुनाई देती है।
उठती हूं मै तुरंत जाकर द्वार खोलती हूं,
न आने पर उनके मुझे घबराहट होती हैं।।

न आने पर दिल मेरा धड़कने लगता है,
मिलने के लिए मेरा दिल मचलने लगता है।
करू तो क्या करू इस बुरे हालात में,
बस खुदकुशी करने को मेरा मन करता है।

याद आती है अब उन मुलाकातों की,
जब भीगे थे संग हम उन बरसातो की।
कैसे भुला दू मै उन सब बातों को अब,
और मिलन भुला दू उन मै रातो की।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

65 Likes · 56 Comments · 1587 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
"टी शर्ट"
Dr Meenu Poonia
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
"दलित"
Dr. Kishan tandon kranti
"मन मेँ थोड़ा, गाँव लिए चल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
झूला....
झूला....
Harminder Kaur
कश्मकश
कश्मकश
swati katiyar
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
Aarti sirsat
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
You cannot feel me because
You cannot feel me because
Sakshi Tripathi
दुख भोगने वाला तो कल सुखी हो जायेगा पर दुख देने वाला निश्चित
दुख भोगने वाला तो कल सुखी हो जायेगा पर दुख देने वाला निश्चित
dks.lhp
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
लक्ष्मी सिंह
'प्रहरी' बढ़ता  दंभ  है, जितना  बढ़ता  नोट
'प्रहरी' बढ़ता दंभ है, जितना बढ़ता नोट
Anil Mishra Prahari
*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*
*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*
Ravi Prakash
उसकी दहलीज पर
उसकी दहलीज पर
Satish Srijan
जैसी सोच,वैसा फल
जैसी सोच,वैसा फल
Paras Nath Jha
हिंदी
हिंदी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आपको हम
आपको हम
Dr fauzia Naseem shad
"बिन स्याही के कलम "
Pushpraj Anant
इंतजार करो
इंतजार करो
Buddha Prakash
spam
spam
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खुदा के वास्ते
खुदा के वास्ते
shabina. Naaz
क्या खूब दिन थे
क्या खूब दिन थे
Pratibha Pandey
भगवान कहाँ है तू?
भगवान कहाँ है तू?
Bodhisatva kastooriya
प्रकाश पर्व
प्रकाश पर्व
Shashi kala vyas
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
कवि रमेशराज
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Loading...