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5 Mar 2021 · 1 min read

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए
क्या करेगा शेर बिचारा
खुद ही जो जंगल कटवाए
बनकर बैठा है रखवाला
कितने जंगल सिमिट गए
कितने तब्दील हुए मैदानों में
कितनी वन भूमि गायब हुई
कितनी चली गई विकासों में
वन भूमि उत्खनन बचाने
कई महकमें बैठे हैं
करोड़ों अरबों खर्च है इनका
संपदा नित्य घटा बैठे हैं
कैंसा है विकास का पहिया
ना जाने कहां रुकेगा
तब तक शायद घायल धरा पर
कुछ भी नहीं बचेगा
बेईमान नेता अफसर
सुनो माफिया कालो
आने वाली संतति के खातिर
कुछ तो इसे संभालो
जल जंगल जमीन और नदियां
कुदरत की अनमोल धरोहर हैं
हर कीमत पर इन्हें बचाना
आज की बड़ी जरूरत है
एक पौधे को पेड़ बनने में
५० _१०० साल लग जाते हैं
क्षुद्र स्वार्थों के चलते
बे पल भर में कट जाते हैं
अंधाधुंध दोहन प्रकृति का
समझो महाविनाश है
मानवता को खतरा है
जीवन का सत्यानाश है

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 711 Views
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