जग में सम्मान (भोजपुरी लोकगीत)
एहर ओहर करअ जीन2
कलम व किताब ल
पढ लिख के तु बाबू
जग में सम्मान ल।
नाहीं पढब लिखब त
कुछो नाहीं मिली
जिनगी के फूल तोहर
कब कईसे खिली,
नाम बेची बाप के ना 2
मौज उधार ल
पढ लिख के तु बाबू
जग में सम्मान ल।
पढब लिखब जो तु बनब
अफसर कलक्टर
तोहरा आगे पीछे घूमी
जिला इन्सपेक्टर
हाथ जोड़ी पाव पड़ी2
बतीया ई मान ल,
पढ लिख के तु बाबू
जग में सम्मान ल।
नाहीं पढब लिखब त
होईहें हीनाई
तोहरे माई बाबू के
लोग गरीयाई,
कहें “सचिन” भईया
वक्त पहिचान ल
पढ लिख के तु बाबू
जग में सम्मान ल।
ऐहर ओहर करअ जीन
कलम व किताब ल
पढ लिख के तु बाबू
जग में सम्मान ल।
©®पं. संजीव शुक्ल “सचिन”
“मुसहरवा” प. चम्पारण
बिहार।