“छोटी-छोटी बातें दिल से नहीं लगाते”
मीटर-222-222-222-121-22
छोटी-छोटी बातें हम दिल से नहीं लगाते।
हरपल को हैं हम जीते सबको यही सिखाते।।
ये जीवन तो मालिक का उपहार एक प्यारा।
हँसते फूले फूलों-सा रखना इसे सँवारा।
रोकर प्यारी-सी ख़ुशियाँ यूँ ही नहीं लुटाते।
हरपल को हैं हम जीते सबको यही सिखाते।
हँसते गाते चलते जाएँ ज़िन्दगी सफ़र है।
तेरा घर ना मेरा घर सुनिए ज़रा इधर है।
किराए का घर इस जग को यारो सभी बताते।
हरपल को हैं हम जीते सबको यही सिखाते।
ये मिलना तन्हा होना रहमत हुई ख़ुदा की।
जो खिलता मिट्टी में मिलता बात सच सदा की।
पगले होकर इसको हम हैं क्यों सभी भुलाते।
हरपल को हैं हम जीते सबको यही सिखाते।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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